नई दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि यूनियन बैंक और एक पुस्तक से संबंधित घपलेबाजी के कारण सरकार ने केवी सुब्रमण्यन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कार्यकारी निदेशक पद से समय से पहले से हटाने का फैसला किया।
पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस पूरे मामले में खुलासा होने के बाद मोदी सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है। कांग्रेस के इस आरोप पर फिलहाल सरकार या सुब्रमण्यन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। श्रीनेत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मोदी सरकार ने दो दिन पहले अचानक आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल समाप्त कर दिया है जबकि उनके कार्यकाल में अभी भी 6 महीने बाक़ी थे।
सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। ये वही केवी सुब्रमण्यन हैं, जो कोविड के दौरान -24 प्रतिशत वृद्धि दर के बावजूद ‘वी-शेप्ड रिकवरी’ (भारी गिरावट के बाद तेज सुधार) की बात कर रहे थे। उन्होंने सवाल किया कि ऐसा क्या हुआ कि इन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया? कांग्रेस ने अपने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए दावा किया कि ऐसा एक घपलेबाजी के चलते हुआ है और यह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है।
यूनियन बैंक ने ‘इंडिया ऐट100’ की करीब दो लाख प्रतियां ऑर्डर कीं
श्रीनेत ने आरोप लगाया कि यूनियन बैंक ने प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और ‘समर्पित चीयरलीडर’ केवी सुब्रमण्यन द्वारा लिखी गयी किताब ‘इंडिया ऐट100’ की करीब दो लाख प्रतियां ऑर्डर कीं। इन 2 लाख प्रतियों की कुल कीमत 7.25 करोड़ रुपये से ज्यादा थी और यही नहीं 3.5 करोड़ रुपये तो एडवांस भी दे दिये गये। उनका कहना है कि इनमें 1,89,450 प्रतियां पेपर बैक और 10,422 हार्ड कवर की प्रतियां शामिल थीं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इन किताबों को बैंक के क्षेत्रीय और जोनल ऑफिस से लेकर खाताधारकों, स्कूल और कॉलेजों में बांटा जाना था। बैंक के 18 जोनल ऑफिस हैं और हर जोनल ऑफिस को 10,525 प्रतियां दी जानी थीं। श्रीनेत ने दावा किया कि आधे भुगतान के बाद बैंक ने तमाम क्षेत्रीय दफ्तरों को कहा कि बाकी भुगतान अतिरिक्त खर्च में दिखा दिया जाये। एजेंसियां