बर्लिन : जर्मनी के 10वें चांसलर बनने की रूढ़िवादी नेता फ्रेडरिक मर्ज की कोशिश मंगलवार को संसद में पहले दौर के मतदान में 6 वोट से विफल हो गई। मर्ज की यह हार बेहद आश्चर्यजनक थी क्योंकि व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह आसानी से जीत जाएंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से चांसलर पद के लिए कोई भी उम्मीदवार पहले मतदान में जीतने में कभी असफल नहीं हुआ।
अपनी पार्टी के सारे वोट भी नहीं मिले
गुप्त मतदान में मर्ज को बहुमत हासिल करने के लिए 630 में से 316 मतों की आवश्यकता थी। उन्हें केवल 310 वोट मिले, जो उनके गठबंधन के पास मौजूद 328 सीट से काफी कम है। पार्टियां अब अपने अगले कदम पर चर्चा करने के लिए पुनः एकजुट होंगी, लेकिन यह तत्काल स्पष्ट नहीं था कि इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहले ऐसे नेता
संसद के निचले सदन, ‘बुंडेस्टाग’ के पास पूर्ण बहुमत वाले उम्मीदवार को चुनने के लिए 14 दिन का समय होता है। मर्ज फिर से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अन्य सांसद भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। अगर मर्ज या अन्य उम्मीदवार इस 14 दिन की अवधि के दौरान बहुमत पाने में विफल रहते हैं तो संविधान राष्ट्रपति को सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को चांसलर नियुक्त करने या ‘बुंडेस्टाग’ को भंग करने तथा एक नया राष्ट्रीय चुनाव कराने की अनुमति देता है। पिछले वर्ष निवर्तमान चांसलर ओलाफ शोल्ज की सरकार गिरने के बाद मर्ज जर्मनी की कमान संभालना चाहते हैं और अगर ऐसा होता है तो वह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी का चांसलर बनने वाले पहले कंजरवेटिव नेता होंगे।
सत्ताइस देशों की सदस्यता वाले यूरोपीय संघ (ईयू) में सबसे अधिक जनसंख्या वाला सदस्य जर्मनी यूरोपीय महाद्वीप में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है तथा यह कूटनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।