जीई इस महीने के अंत तक 99 जीई-404 इंजनों में से पहला इंजन एचएएल को सौंपने की तैयारी में  
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वायुसेना को बड़ी राहत, दो साल की देरी के बाद पहला इंजन देने जा रही जीई

यह कदम तेजस एमके 1ए कार्यक्रम को गति देगा

नयी दिल्ली : अमेरिकी विमान इंजन निर्माता जीई (जनरल इलेक्ट्रिक) इस महीने के अंत तक 99 जीई-404 इंजनों में से पहला इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपने की तैयारी में है। यह अदायगी दो साल की देरी के बाद हो रही है, जिससे भारतीय वायुसेना को काफी राहत मिलेगी। यह कदम ‘तेजस एमके-1ए’ कार्यक्रम को गति देगा, जिसके तहत वायुसेना को 83 विमानों की आपूर्ति की जानी है। इस विमान ने मार्च 2024 में अपनी पहली उड़ान भरी थी लेकिन तब इसमें नये इंजन के बजाय रिजर्व इंजन का उपयोग किया गया था।

वायुसेना देरी पर पहले ही जता चुकी चिंता

जीई-404 इंजन भारत में निर्मित तेजस मार्क 1-ए लड़ाकू विमानों को पावर प्रदान करता है। एचएएल द्वारा इन विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर वायुसेना पहले ही चिंता जता चुकी है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पहला इंजन वर्तमान में टेस्ट-बेड पर है और इस महीने के अंत तक एचएएल को मिल सकता है। इसके बाद 2025 में 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजन की डिलीवरी की योजना है।

आपूर्ति की शुरुआत मूल रूप से मार्च 2023 से होनी थी!

गौरतलब है कि 2021 में 716 मिलियन डॉलर के अनुबंध के तहत जीई को 99 एफ-404 इंजनों की आपूर्ति करनी थी, जिसकी शुरुआत मूल रूप से मार्च 2023 से होने वाली थी। हालांकि सप्लाई चैन में समस्याओं और महामारी के दौरान पुराने सप्लायर के बंद होने के कारण इसमें देरी हुई। अब अधिकारियों ने बताया कि पहला इंजन परीक्षण के दौर से गुजर रहा है और इसे मार्च के अंत तक एचएएल को सौंप दिया जायेगा।

भारत में जीई-414 इंजन विनिर्माण पर काम

जीई और एचएएल मिलकर भारत में जीई-414 इंजन के विनिर्माण पर भी कार्य कर रहे हैं। यह इंजन एडवांस मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) को शक्ति देगा, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) विकसित कर रहा है। इस परियोजना के तहत भारत-अमेरिका के बीच आईसीईटी समझौते के तहत तकनीक ट्रांसफर की योजना बनायी गयी है।

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