नयी दिल्ली : अमेरिका ने भारत को दूसरा जीई-404 इंजन सौंप दिया है। यह इंजन तेजस लड़ाकू विमान (एलसीए मार्क-1ए) में लगाया जायेगा। इसे तेजस बना रही सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपा गया है।
इस साल के आखिर तक मिल जायेंगे 12 इंजन
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार एचएएल को इस साल के आखिर तक ऐसे 12 इंजन मिल जायेंगे। इनका इस्तेमाल एलसीए मार्क-1ए फाइटर जेट्स में किया जायेगा। वायुसेना ने तेजस मार्क-1ए के 83 विमान ऑर्डर किये हैं जो कि 2028 तक डिलीवर किये जाने हैं। वहीं 97 और विमानों की खरीद का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद अब अंतिम दौर में है।
वायुसेना को जल्द मिलेंगे तेजस : एचएएल
एचएएल ने गत 12 फरवरी को कहा था कि हम जल्द ही वायुसेना को तेजस की डिलीवरी शुरू कर देंगे। एचएएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डीके सुनील ने कहा कि डिलिवरी में देरी के पीछे उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन यह देरी तकनीकी खामी की वजह से हुई है। अब इसे दूर कर लिया गया है।
वायुसेना प्रमुख ने देरी पर जाहिर की थी चिंता
फरवरी में ही बेंगलुरू एअर शो के दौरान वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल एपी सिंह ने तेजस की डिलीवरी पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि वायुसेना को 40 फाइटर जेट्स अभी तक नहीं मिले। वायुसेना प्रमुख ने एचएएल के अधिकारियों से कहा था कि उन्हें इस कंपनी पर ‘भरोसा’ नहीं है।
एचएएल को 2028 तक देने हैं 83 तेजस
एचएएल को 2021 में वायुसेना के लिए 83 तेजस मार्क-1ए बनाने के लिए 46,898 करोड़ रुपये का अनुबंध मिला था। कंपनी के पास 2024 से 2028 के बीच 83 लड़ाकू विमान की डिलीवरी करने का समय है।
मिग सीरीज के विमानों के बदले एलसीए मार्क-1ए
वायुसेना तेजस के एलसीए वैरिएंट से अपनी मौजूदा मिग सीरीज के विमानों को बदलने की तैयारी में है। एलसीए मार्क-1ए विमान मिग-21, मिग-23 और मिग-27 की जगह लेगा। एलसीए मार्क-1ए के 65 फीसदी से ज्यादा उपकरण भारत में बने हैं। तेजस मार्क-1ए को पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एअरबेस पर तैनात करने की योजना है।