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बांग्लादेश में हिंदू युवक को पीट-पीटकर मारा, फिर शव को पेड़ में टांग कर जलाया

बांग्लादेश में एक छात्र नेता की मौत के बाद नये सिरे से हिंसा भड़क उठी है।

कोलकाताः बांग्लादेश में छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा के बीच एक हिंदू युवक को पीट-पीट कर मार दिया गया और और फिर उसके शव को एक पेड़ पर टांग कर जला दिया गया। इस घटना से बांग्लादेश में एक बार फिर से हिंदुओं में डर-खौफ का माहौल पैदा हो गया है कि कहीं नये सिरे से फिर उनके खिलाफ हिंसा-आगजनी नहीं की जाए।

बीबीसी बांग्ला की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस हिंदू युवक की पीट-पीट कर हत्या की गई, उसका नाम दीपू चंद्र दास है और वह भालुका उपजिला के दुबलिया पाड़ा का रहने वाला था। स्थानीय पुलिस ने कहा है कि लोगों ने उस पर मोहम्मद पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक बातें पोस्ट करने का आरोप लगाया है।

बृहस्पतिवार की रात नौ बजे लोगों ने उसे घर से खींच लिया और उसे लेजाकर पीट-पीट कर मार दिया। उसके शव को एक पेड़ में टांग कर उसमें आग लगा दी। घटना की खबर पाकर पुलिस पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर मेमन सिंह सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।

पुलिस ने कहा है कि वह उसके परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है। अभी तक इस मामले में किसी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है।

तसलीमा ने की तीखी आलोचना

हिंदू युवक को पीट-पीट कर मारने और छात्र नेता की मौत के बाद जारी हिंसा को लेकर भारत में रहने वाली बांग्लादेश की चर्चित कवयित्री तसलीमा नसरीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा-'...जिहादियों ने भालुका के एक नौजवान, दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला, फिर उसकी लाश को एक पेड़ से लटकाकर जला दिया। नहीं—किसी को दुख नहीं हुआ, किसी के हाथ नहीं कांपे, किसी का दिल नहीं रोया। जिहादिस्तान का असली चेहरा ऐसा ही दिखता है।'

बीजेपी ने घटना की निंदा की

इधर बंगाल बीजेपी नेताओं ने भी बांग्लादेश में एक हिंदू युवक को पीट-पीट मारने और उसके शव को जलाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा-बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास नाम के एक हिंदू युवक को कथित ईशनिंदा के आरोप में इस्लामवादियों ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। उसे मारने के बाद, उसके शव को एक पेड़ से लटका दिया गया और आग लगा दी गई। यह भयानक घटना उस क्रूर सच्चाई को सामने लाती है कि जब इस्लामिक चरमपंथ पर कोई रोक नहीं लगती और अल्पसंख्यकों से सुरक्षा छीन ली जाती है, तो क्या होता है।

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