सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र द्वारा सोमवार को श्री विजयपुरम के मिनी बे में भारतीय वन सेवा अधिकारियों के लिए “द्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र की तटीय एवं समुद्री जैव विविधता” विषय पर एक सप्ताह के अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 08 से 12 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर भारत सरकार के पूर्व सचिव, बालाचंद्रन, (सेवानिवृत्त) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में बालाचंद्रन ने स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने में तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह विश्व के प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से एक है और ऐसे में वन सेवा अधिकारियों की जिम्मेदारी केवल वन संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध समुद्री जैव विविधता की रक्षा करना भी उनका दायित्व है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र स्थलीय पर्यावरण से बिल्कुल भिन्न होता है, जिसके संरक्षण के लिए विशेष ज्ञान, वैज्ञानिक समझ और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है।
उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा हेतु नीति निर्माण, जागरूकता और केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिनियमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया। इससे पहले अतिरिक्त निदेशक, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, डॉ. शिवपेरुमन ने स्वागत भाषण दिया और प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य, स्वरूप एवं अपेक्षित परिणामों की जानकारी प्रस्तुत की। विशेष संबोधन में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के मुख्य वन संरक्षक, डॉ. दिनेश कन्नन, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने प्रतिभागियों को द्वीपों की विशिष्ट वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानकारी दी, विशेष रूप से तटीय और समुद्री जैव विविधता पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न राज्यों से कुल 21 वन अधिकारियों ने भाग लिया है। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिभागियों को अंडमान द्वीप के पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण भी कराया जाएगा।