कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पूर्वी कोलकाता जलाभूमि क्षेत्र में शहर का पहला नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना का उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण के प्रति जनजागरण बढ़ाना और जलाभूमि को पर्यावरण शिक्षा का एक जीवंत केंद्र बनाना है।
पूर्वी कोलकाता जलाभूमि को शहर का “फेफड़ा” कहा जाता है। यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्थल है, जहाँ सैकड़ों प्रजातियों के पक्षी, मछलियाँ, कीट और जलचर पौधों का वास है। यह जलाभूमि प्रतिदिन कोलकाता के नालों के पानी को प्राकृतिक रूप से शुद्ध कर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखती है।
राज्य के पर्यावरण विभाग के अधीन ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स मैनेजमेंट अथॉरिटी ने केंद्र के निर्माण के लिए प्रारंभिक रूपरेखा तैयार कर निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। निर्माण कार्य एक वर्ष के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह केंद्र केवल एक प्रदर्शनी स्थल नहीं होगा, बल्कि एक ऐसा शिक्षण परिसर होगा जहाँ लोग प्रकृति और पर्यावरण के साथ प्रत्यक्ष संवाद कर सकेंगे।
यहाँ इंटरएक्टिव गैलरी, ऑडियो-वीडियो प्रदर्शन, जैव विविधता प्रदर्शनी, खुला पर्यवेक्षण क्षेत्र, देखने के मंच और पर्यावरण अनुकूल ढाँचे की व्यवस्था होगी। परियोजना का विशेष लक्ष्य छात्रों और शोधकर्ताओं को जलाभूमि आधारित पर्यावरण विज्ञान के व्यावहारिक अध्ययन से जोड़ना है।
केंद्र में फील्ड लर्निंग कार्यक्रम, जैव विविधता कार्यशालाएँ और सामुदायिक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएँगे। यह परियोजना न केवल कोलकाता की पारिस्थितिकी के संरक्षण में नयी ऊर्जा भरेगी, बल्कि नागरिकों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और संरक्षण की भावना भी जागृत करेगी।