सन्मार्ग संवाददाता
अलीपुरदुआर : पहलगाम में हुए पर्यटकों के ऊपर दरिंदगी की घटना के बाद देश में युद्ध के हालात चल रहे थे। इस युद्ध के हालात के बीच डुआर्स का पर्यटन कारोबार को भी गहरा झटका लगा है। भरे पर्यटन के सीजन के दौरान पर्यटकों के ना आने से डुआर्स में पर्यटन उद्योग मुंह के बल गिर पड़ा है। पिछले कई दिनों से बुकिंग लगभग ना के बराबर रही है और कई बुकिंग रद्द भी हो गई हैं, इसका सीधा प्रभाव क्षेत्र के पर्यटन कारोबारियों पर पड़ रहा है। स्वाभाविक रूप से, डुआर्स के पर्यटन व्यवसायी इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं। विशेषकर अलीपुरदुआर में पर्यटन उद्योग में काफी मंदी देखी गई है। मालूम हो कि अलीपुरदुआर में पर्यटन उद्योग वन-आधारित पर्यटन उद्योग है, लेकिन यहां सिर्फ जंगल ही नहीं, बल्कि भूटानी पहाड़ों की खूबसूरती भी देखी जा सकती है। डुआर्स स्थित अलीपुरदुआर जिले के जलदापाड़ा,चिलापाता, राजाभातखावा, बक्सा, जयंती जैसे पर्यटन केंद्रों में हजारों लोग पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। जिस प्रकार इस क्षेत्र में पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल हैं, उसी प्रकार यहां होमस्टे भी हैं। क्षेत्र के निवासी कुछ पैसे कमाने की उम्मीद में यह होमस्टे व्यवसाय चला रहे हैं। होमस्टे में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। हर साल गर्मियों की छुट्टियों के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक डुआर्स पहुंचते हैं और यहां की जंगलों की सैर करने के साथ यहां की प्राकृतिक वादियों और वन्य प्राणियों को देखने का लुप्त उठाते हैं। पर्यटकों के आने से ही यहां के पर्यटन कारोबारी की रोजी-रोटी चलती है लेकिन मौजूदा स्थिति में यहां के पर्यटन केंद्र में पर्यटकों की संख्या ना के बराबर है। इसके चलते क्षेत्र के पर्यटन व्यवसायी भी काफी निर व्यवसायी पर्यटकों निराश और चिंतित हैं। पर्यटन कारोबारियों का अनुमान है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की घटना के बाद देश में चल रहे युद्ध के हालात के कारण कई लोगों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है, मन में तरह-तरह के संदेश और घबराहट के वजह से यहां घूमने आने के लिए पर्यटक कतरा रहे हैं। यहां तक कि पर्यटकों के पसंदीदा पर्यटन केंद्र चिलापाता और जयंती में भी पर्यटक नहीं आ रहे हैं।
चिलापाता के पर्यटनों ने यह कहा
इस विषय पर चिलापाता के पर्यटन व्यवसायी गणेश कुमार साह ने कहा कि हमारे क्षेत्र का पर्यटन जंगल केंद्रित पर्यटन है। हर साल यहां गर्मी की छुट्टियों के लिए एडवांस बुकिंग हो जाती थी, लेकिन इस साल कोई विशेष बुकिंग नहीं है। इंक्वारी भी नहीं आ रही है। उन्होंने कहा देश में 22 अप्रैल को हुई घटना के बाद से युद्ध जैसा माहौल बना हुआ है और लड़ाई जारी है। स्थिति ऐसी है कि इस माहौल में यहां पर्यटकों की संख्या लगभग ना के बराबर है। उन्होंने कहा गर्मियों की छुट्टी के दौरान यह महीना ही पर्यटन का खास महीना होता है, इसके बाद मानसून आने के कारण 15 जून से जंगल बंद कर दिया जायेगा। तब तो पर्यटक और भी नहीं आएंगे। उन्होंने कहा स्थिति ऐसी आ गई है कि पूरा कारोबार ही मुंह के बाल गिर रहा है। कैसे हम क्या करेंगे और कैसे कर्मचारियों को वेतन देंगे यह लेकर भी हम काफी चिंतित है।
अलीपुरदुआर जिले के बक्सा टाइगर रिजर्व के पर्यटन केंद्रों की भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली है। बक्स टाइगर रिजर्व की जयंती, राजाभातखावा सहित तमाम पर्यटन केदो में पर्यटकों का आगमन लगभग थम गया है। जयंती के पर्यटन कारोबारी अयान नायडू ने कहा कि युद्ध की स्थिति का हमारे पर्यटन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। हमारे जिले के विभिन्न सामान क्षेत्र में मॉकड्रिल भी हो रहे हैं। युद्ध की स्थिति में काफी जगह अफवाहें भी फैली है जिसके चलते पर्यटक यहां आने से घबरा रहे हैं। उन्होंने कहा आगामी जंगल 15 जून से 15 सितंबर तक बंद रहेगा। इधर गर्मियों के छुट्टी के बीच भी यहां पर्यटक नहीं आ रहे है इससे वाकई में क्षेत्र तमाम पर्यटन कारोबारी काफी मायूस है। सबको आर्थिक समस्याओं से जुड़ना पड़ रहा हैं। उन्होंने कहा उम्मीद करते हैं कि जल्द सभी स्थिति स्वाभाविक होगी और क्षेत्र में पर्यटन कारोबार फिर से स्वाभाविक रूप लेगा।