फेक अलर्ट को ‘GPS स्पूफिंग’ भी कहा जाता है
मकसद पायलटों को भरमान
युद्ध के समय में किया जाता है इसका इस्तेमाल
पायलटों को वैकल्पिक नेविगेशन पर स्विच करने की सलाह
नयी दिल्ली : दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (IGI) में पिछले एक हफ्ते से विमानों के GPS सिग्नल में फेक अलर्ट आ रहे हैं। इस तरह के सिग्नलों ‘GPS स्पूफिंग’ भी कहा जाता है। इसके तहत पायलटों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा अलर्ट मिल रहे हैं। ये सिग्नल दिल्ली के करीब 100 किलोमीटर के दायरे में आ रहे हैं।
DGCA को दी गयी जानकारी
एअर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के सूत्रों के अनुसार नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को इसके बारे में जानकारी दे दी गयी है। आसमान में उड़ते विमान अचानक ‘खो’ जा रहे हैं। गौरतलब है कि राजधानी के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर जब भी पूर्वी हवाएं चलती हैं, तो विमान द्वारका की तरफ से लैंडिंग करते हैं और वसंत कुंज की ओर टेकऑफ करते हैं लेकिन ये फेक अलर्ट कुछ देर के लिए गड़बड़ कर देता है। दरअसल स्पूफिंग एक प्रकार का साइबर अटैक है जो नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिए फेक GPS सिग्नल भेजता है।
फ्लाइट संचालन में असुविधा
इसकी वजह से मुख्य रनवे पर उड़ानें प्रभावित होती हैं। एअरपोर्ट पर रोजाना 1,550 विमान उड़ान भर रहे हैं। मंगलवार रात इंडिगो के पांच और एअर इंडिया के दो विमान जयपुर डायवर्ट करने पड़े। यात्री घंटों इंतजार करते रहे। इसकी वजह से हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। एअरलाइंस वाले बताते हैं कि GPS की दो बड़ी मुसीबतें हैं। पहली जैमिंग जिसे युद्ध क्षेत्रों में सेना इस्तेमाल करती है ताकि दुश्मन को लोकेशन न पता चले और दूसरी स्पूफिंग जो पाकिस्तान से मध्य पूर्व, तुर्किये और यूक्रेन तक के ‘शरारती तत्व’ करते हैं। एअरलाइंस पायलटों को पहले अलर्ट दे रही हैं और वैकल्पिक नेविगेशन पर स्विच करने की सलाह दे रही हैं।
लैंडिंग के वक्त आया फेक अलर्ट!
एक एअरलाइंस के पायलट, जिन्होंने पिछले हफ्ते लगातार 6 दिन फ्लाइट उड़ाई, ने बताया कि इस दौरान उन्हें हर बार GPS स्पूफिंग का सामना करना पड़ा। पायलट के अनुसार दिल्ली हवाईअड्डे पर एक बार फ्लाइट लैंड करने के दौरान उनके कॉकपिट सिस्टम में अलर्ट आया कि आगे रूट पर कोई खतरा है। वास्तव में वहां ऐसा कुछ नहीं था। ऐसा ही कुछ अन्य फ्लाइट्स के साथ भी हुआ। इससे कई उड़ानों में देरी भी हुई। सूत्रों ने बताया कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर GPS स्पूफिंग होना आम बात है लेकिन दिल्ली के ऊपर ऐसी घटनाएं असामान्य हैं। दिल्ली के आसपास सैन्य अभ्यास के बारे में भी पायलटों और ATCO को कोई सलाह भी नहीं दी गयी थी, जिससे उन्हें सावधानी बरतने की आवश्यकता हो।
GPS स्पूफिंग यानी पायलट को भरमाना
GPS स्पूफिंग का मतलब है किसी किसी विमान, जहाज या ड्रोन को झूठा GPS सिग्नल भेजकर यह विश्वास दिलाना कि उसकी असली लोकेशन कुछ और है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि GPS स्पूफिंग के जरिये अगर पायलट विमान का रूट भटक जाये तो एअर ट्रैफिक कंट्रोलर उसकी मदद कर सकता है। वे मैनुअली पायलट को रूट बताते हैं। GPS स्पूफिंग से किसी विमान की सुरक्षा में खतरा नहीं होता क्योंकि फ्लाइट में इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम भी शामिल होता है। जिसका उपयोग नेविगेशन के लिए भी किया जाता है। DGCA ने नवंबर 2023 में एअरलाइनों को विशेष संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन करने और GPS स्पूफिंग की घटनाओं पर हर दो महीने में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। भारत ने अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के सामने भी यह मामला उठाया था।