नई दिल्ली: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में लोग रोज़गार और उससे जुड़ी गतिविधियों पर रोज़ाना लगभग दो घंटे ज़्यादा बिताते हैं, जिसमें काम पर आने-जाने का समय भी शामिल है। इस तरह यह सबसे ज़्यादा मेहनती शहर बन गया है।
डेटा के मुताबिक, दिल्ली में एक व्यक्ति रोज़ाना 571 मिनट या लगभग 9.5 घंटे काम से जुड़ी गतिविधियों पर बिताता है, जबकि राष्ट्रीय औसत 455 मिनट है। दूसरी तरफ़, हरियाणा 493 मिनट और तमिलनाडु 484 मिनट बिताता है। ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य काम और उससे जुड़ी गतिविधियों पर लगभग सात घंटे बिताते हैं।
टाइम यूज़ सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा, तमिलनाडु और गोवा के साथ दिल्ली को प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे अमीर राज्यों में गिना जाता है। इस बीच राजस्थान अन्य राज्यों की तुलना में सामाजिक मेलजोल, सामुदायिक भागीदारी, धार्मिक भागीदारी पर अधिक समय व्यतीत करता है, जो राष्ट्रीय औसत 129 मिनट की तुलना में 148 मिनट है। तमिलनाडु को सबसे कम सामाजिक राज्य करार दिया गया है, जो हर दिन केवल 106 मिनट ही बिताता है। हरियाणा की बात करें तो यह राज्य भले ही सबसे अधिक मेहनती न हो, लेकिन यह अवकाश, खेल गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर सबसे अधिक समय व्यतीत करके शीर्ष स्थान पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा का अवकाश के लिए औसत समय 199 मिनट है, जो अन्य राज्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय औसत 176 मिनट से भी अधिक है। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्य राष्ट्रीय औसत 420 मिनट की तुलना में सीखने की गतिविधियों पर 475 मिनट से अधिक समय व्यतीत करते हैं।" इसके बाद काम पर लैंगिक असमानता आती है, क्योंकि दिल्ली सहित छह राज्यों को छोड़कर पुरुषों को अवकाश, खेल, मास मीडिया और सांस्कृतिक गतिविधियों में अधिक शामिल देखा जाता है। यह असमानता उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक है, जहां महिलाएं पुरुषों की तुलना में काम पर 72 प्रतिशत कम समय व्यतीत करती हैं, दूसरे स्थान पर बिहार है जहां यह प्रतिशत 71.6 है।