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प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजना निरर्थक कवायद, ट्रंप के दावे पर संसद में जवाब दें पीएम : कांग्रेस

कांग्रेस ने दोहरायी संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान को लेकर गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चुप्पी’ साधने के बजाय संसद का विशेष सत्र बुलाकर सदन के पटल पर स्पष्टीकरण देना चाहिए तथा सभी दलों के नेताओं से भी बातचीत करनी चाहिए। पार्टी ने यह दावा भी किया कि सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों के दौरे पर भेजना ‘दिखावे की निरर्थक कवायद’ है और फिलहाल यह जरूरी है कि पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोके जाने से जुड़े सवालों का सरकार जवाब दे तथा संसद से एक सामूहिक संकल्प दुनिया के सामने रखा जाये।

‘ट्रंप ने 8वीं बार लिया सीजफायर का श्रेय’

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक भेंट में उक्त दावा करते हुए यह भी कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने आठवीं बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव को व्यापार समझौते के जरिए सुलझाया है। उन्होंने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से ह्वाइट हाउस में मुलाकात के दौरान यह दावा किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने ‘करीबी दोस्त’ द्वारा बार-बार किये जा रहे इन दावों पर पूरी तरह मौन हैं। विदेशमंत्री जयशंकर भी अपने मित्र, अमेरिकी विदेशमंत्री मार्को रुबियो द्वारा दिये गये बयानों पर पूरी तरह खामोश हैं। रुबियो ने तो यहां तक दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तटस्थ स्थान पर बातचीत होगी।

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का इंतजार

रमेश का कहना था कि जब हम प्रतिनिधिमंडलों को दुनिया भर में भेज रहे हैं तो अमेरिकी राष्ट्रपति अपना दावा दुहरा रहे हैं, अब तो भारत और पाकिस्तान को बराबरी पर रखा जा रहा है। उन्होंने यह दावा भी किया कि कुछ खबरों में कहा गया है कि पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार ये आतंकवादी कुछ महीने पहले हुए तीन आतंकी हमलों में भी शामिल थे। वे पहलगाम से पहले पुंछ, गांदरबल और गुलमर्ग में आतंकी हमले कर चुके थे। रमेश ने कहा कि पिछले 18 महीने से इन आतंकवादियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।रमेश ने यह मांग फिर दोहराई कि 1999 में कारगिल युद्ध के बाद बनी समीक्षा समिति की तर्ज पर पहलगाम आतंकी हमले, उसके बाद के घटनाक्रमों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोके जाने की पृष्ठभूमि में भी एक समीक्षा समिति का गठन होना चाहिए।

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