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SIR के 'डर' से एक और मौत की शिकायत: उत्तर 24 परगना में चार लोगों की गई जान!

निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बारासात: उत्तर 24 परगना जिले में कथित तौर पर एसआईआर (SIR) के डर से एक और व्यक्ति की मौत का आरोप सामने आया है। यह घटना बारासात के दत्तपुकुर निवासी जिया अली के परिवार वालों ने लगाई है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के साथ, उत्तर 24 परगना जिले में यह चौथी ऐसी शिकायत सामने आई है जहाँ परिवारों ने आरोप लगाया है कि एसआईआर (SIR) से जुड़े खौफ और तनाव ने उनके प्रियजनों की जान ले ली है।

दस्तावेज़ ठीक होने पर भी 'बांग्लादेश भेजे जाने' का डर

मृतक जिया अली के बेटे ने बताया कि उनके पिता के सभी दस्तावेज़ पूरी तरह से ठीक थे। उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में भी दर्ज था, जो उनकी नागरिकता का एक मजबूत प्रमाण था। इतना ही नहीं, उन्हें एसआईआर से संबंधित एन्यूमरेशन फॉर्म भी प्राप्त हो चुका था।

इन सभी प्रमाणों के बावजूद, जिया अली लगातार इस गहरी आशंका में जी रहे थे कि उन्हें 'बांग्लादेश भेज दिया जाएगा'। यह निरंतर चिंता और तनाव उन्हें भीतर ही भीतर खा रहा था। इसी मानसिक दबाव के कारण उन्हें अचानक ब्रेन स्ट्रोक हुआ।

गंभीर हालत में उन्हें पहले बारासात मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन जब उनकी शारीरिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें कोलकाता के प्रतिष्ठित एनआरएस मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। दुर्भाग्यवश, शनिवार को उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली।

तृणमूल नेतृत्व ने शोक व्यक्त किया, बीजेपी पर साधा निशाना

इस दुखद घटना की सूचना मिलते ही सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने तुरंत जिया अली के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने परिवार को इस कठिन समय में हर संभव मदद और समर्थन देने का संदेश भी दिया।

स्थानीय तृणमूल नेता सुशांत मंडल ने इस मामले को लेकर सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया, "बीजेपी नेताओं द्वारा एसआईआर (SIR) को लेकर जिस तरह की भड़काऊ और डराने वाली बयानबाजी की जा रही है, उससे हमारे बुजुर्ग लोग बहुत ज्यादा आतंकित हो गए हैं। जिया अली भी इसी डर से पीड़ित थे।" उन्होंने स्पष्ट दावा किया कि यह मौत किसी प्राकृतिक कारण से नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ फैलाए गए आतंक (डर) का शिकार होने के कारण हुई है।

लगा आरोप- नागरिकता की चिंता में जान गँवा रहे लोग

तृणमूल नेतृत्व का कहना है कि यह घटना इस बात का प्रमाण है कि एसआईआर (SIR) को लेकर जानबूझकर एक खौफ का माहौल बनाया जा रहा है, जिसका सीधा असर राज्य के सबसे संवेदनशील वर्ग, यानी बुजुर्गों और गरीब तबके पर पड़ रहा है। जिले में चार लोगों की मौत की ये शिकायतें इस बात को रेखांकित करती हैं कि नागरिकता खोने और विस्थापित होने का डर लोगों के स्वास्थ्य पर कितना भयानक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल रहा है।

पुलिस अब मामले की आधिकारिक जांच कर रही है, हालांकि परिवार और स्थानीय नेता इस मौत को राजनीतिक बयानबाजी के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक डर का परिणाम मान रहे हैं।

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