कोलकाता: प्रसिद्ध भारतीय विद्वान और आलोचक गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक को 2025 होलबर्ग पुरस्कार विजेता घोषित किया गया है, जिसे मानविकी का 'नोबेल पुरस्कार' कहा जाता है। इस अवसर पर सीएम ममता बनर्जी ने स्पिवाक को बधाई देने के साथ ही उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि की प्रशंसा की। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर अपने अनुभव लिखते हुए कहा, मैं प्रोफेसर गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक को एक और शीर्ष अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने पर बधाई देती हूँ। उन्हें इस वर्ष नॉर्वे के होलबर्ग पुरस्कार के लिए चुना गया है, जिसे मानविकी और सामाजिक विज्ञान में सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है। इस सर्वोच्च सम्मान को प्राप्त करके उन्होंने पूरे देश और पूरे पश्चिम बंगाल को गौरवान्वित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रोफेसर स्पिवाक साहित्यिक सिद्धांत और दर्शन में अपने योगदान के लिए व्यापक रूप से जानी जाती हैं लेकिन मैं पश्चिम बंगाल के कुछ दूरदराज के गांवों में गरीबों के पक्ष में स्वैच्छिक सेवाओं के साथ उनके लंबे और निरंतर जुड़ाव से भी मंत्रमुग्ध हूँ। बंगाली साहित्य के सर्वकालिक क्लासिक्स का अंग्रेजी में अनुवाद करने का उनका प्रयास हमें प्रेरित करता है। उन्होंने अपने वक्तव्य का समापन करते हुए कहा, 'इस महान विद्वान को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।'
कौन हैं गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक?
24 फरवरी, 1942 को कोलकाता में जन्मी स्पिवाक को अपने समय की सबसे प्रभावशाली बुद्धिजीवियों में से एक माना जाता है, जिन्होंने 1970 के दशक से साहित्यिक आलोचना और दर्शन को आकार दिया है। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के बाद 1967 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। स्पिवाक 2007 से कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और तुलनात्मक साहित्य और समाज संस्थान की संस्थापक सदस्य हैं। अपने करियर के दौरान स्पिवाक ने 20 से अधिक संस्थानों में पढ़ाया है। उनके सम्मानों में पद्म भूषण (2013), कला और दर्शन में क्योटो पुरस्कार (2012) और आधुनिक भाषा संघ लाइफटाइम स्कॉलरली अचीवमेंट अवार्ड (2018) शामिल हैं। उन्हें 50 से अधिक संकाय पुरस्कार मिले हैं और दुनिया भर में 15 मानद डॉक्टरेट हैं। 82 वर्षीया स्पिवाक 5 जून को एक समारोह में नॉर्वे के क्राउन प्रिंस हाकोन से यह पुरस्कार प्राप्त करेंगी।