कोलकाता: कुंभ मेले के बाद देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में शामिल गंगासागर मेले की तैयारियों को लेकर राज्य प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया है। मेले से पहले नवान्न में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ निर्देश दिया कि गंगासागर मेले में किसी भी तरह का ‘वीआईपी कल्चर’ नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा कि यह मेला आम श्रद्धालुओं का है और उनकी सुविधा ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। विश्लेषकों के अनुसार, हालांकि मुख्यमंत्री ने गंगा सागर के दौरान वीआईपी संस्कृति को खत्म करने पर जोर दिया, लेकिन उनका इरादा मेस्सी के कोलकाता दौरे के दौरान युवा भारती स्टेडियम में हुई हालिया घटना पर अल्टीमेटम देना था।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि लाल बत्ती और वीआईपी मूवमेंट के कारण किसी भी श्रद्धालु को परेशानी न हो। भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर इस बार भी तकनीक पर विशेष जोर दिया जा रहा है। मेला परिसर, कपिल मुनि आश्रम और स्नान घाटों पर ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी होगी।
लगभग 3,500 सिविल डिफेंस वॉलेंटियर तैनात रहेंगे, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी श्रद्धालुओं को आईडी कार्ड और रिस्ट बैंड दिए जाएंगे। राज्य सरकार की ओर से श्रद्धालुओं के लिए बीमा की व्यवस्था भी की गई है, ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके। परिवहन के लिए करीब 2,500 बसें, 250 लॉन्च और 21 जेटी तैयार रखी जा रही हैं।
मुड़ीगंगा और सागर में ड्रेजिंग कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। मेले की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री ने बेचाराम मन्ना, पुलक रॉय, सुजीत बोस, बॉबी हकीम, अरूप विश्वास, स्नेहाशीष चक्रवर्ती और मानस भुइयां जैसे कई मंत्रियों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है। जानकारी के अनुसार, 12 जनवरी से सभी मंत्री मौके पर मौजूद रहेंगे, जबकि कोलकाता से समन्वय की जिम्मेदारी अलग टीम संभालेगी।
मुख्यमंत्री ने तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा और मछुआरों के मुद्दे पर भी चिंता जताई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री गंगासागर को जोड़ने वाले प्रस्तावित 4 किलोमीटर लंबे पुल के शिलान्यास की भी घोषणा कर सकती हैं। बैठक के अंत में उन्होंने सभी विभागों को समन्वय के साथ काम करने और पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश दिया।