कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ओबीसी आरक्षण मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर नवान्न से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह केवल अंतरिम आदेश है, अंतिम फैसला नहीं। ममता ने कहा, कानून अपना रास्ता खुद तय करेगा। हमें यह आदेश कल रात मिला और हमारी कानूनी टीम इसका अध्ययन कर रही है। हमने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने का समय मांगा था और उसी के तहत ओबीसी आयोग जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश भी शामिल थे, ने काम किया। यह राज्य सरकार का नहीं, आयोग का निर्णय था। हमने पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार पूरी की। सीएम ने आरोप लगाया कि भाजपा और माकपा नहीं चाहतीं कि गरीबों को आरक्षण मिले।
मुसलमानों की बात पर आप परेशान क्यों होते हैं?
सीएम ने कहा, ये आरक्षण आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए है। एससी-एसटी को जैसे आरक्षण है, वैसे ही ओबीसी को भी होना चाहिए। 33 प्रतिशत लोग यहां आजादी के समय से रह रहे हैं, आप उनके अधिकार कैसे छीन सकते हैं? मुख्यमंत्री ने इतिहास और सामाजिक समरसता की बात करते हुए कहा, 60 समूहों में से अधिकांश गैर-मुस्लिम हैं। जब भी मुसलमानों की बात आती है, आप परेशान क्यों होते हैं? नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ शहनवाज खान थे। टैगोर ने बंग-भंग आंदोलन के दौरान हिंदू-मुसलमानों को राखी बांधने का संदेश दिया था। ताजमहल शाहजहां ने बनवाया। इतिहास को कैसे मिटाओगे? उन्होंने कहा कि पहले ही लोगों को नौकरियां नहीं मिलतीं और जो भर्तियां हो रही थीं उन्हें भी रोक दिया गया। इसका खामियाजा शिक्षक, पुलिस और तमाम विभागों में रिक्त पदों के रूप में सामने है। अंत में उन्होंने याद दिलाया कि ओबीसी आरक्षण ममता सरकार की उपज नहीं, मंडल आयोग की सिफारिशों का हिस्सा था, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के दौर में लागू किया गया। उन्होंने पूछा, तब भाजपा उनके साथ थी, तो विरोध क्यों नहीं किया? गरीब अगर शिक्षा से ऊपर उठता है तो आपको दिक्कत क्यों है? सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दे सकती है।