मुंबई : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने रविवार को इस बात से निराशा जतायी कि महाराष्ट्र के बड़े अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका ये तीनों लोकतंत्र के स्तम्भ हैं, इन सभी को एक-दूसरे को सम्मान करना चाहिए।
सीजेआई रविवार को मुंबई पहुंचे थे
न्यायमूर्ति गवई ने कहा अगर भारत के प्रधान न्यायाधीश पहली बार महाराष्ट्र आ रहे हैं तो ये उम्मीद की जाती है कि यहां के मुख्य सचिव (सीएस), पुलिस प्रमुख (डीजीपी) और मुंबई के पुलिस कमिश्नर को मौजूद रहना चाहिए। ऐसा न करना सोचने पर मजबूर करता है। सीजेआई रविवार को मुंबई पहुंचे थे। यहां महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल ने उनका सम्मान समारोह रखा था लेकिन उनको लेने केलिए राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर नहीं पहुंचे। न्यायमूर्ति गवई ने मराठी में सभा को संबोधित करते हुए उन्हें मिले प्यार और स्नेह के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। इसके पहले वे मुंबई में चैत्यभूमि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक भी गये।
‘जज जमीनी हकीकत नजरअंदाज नहीं कर सकते’
सीजेआई ने शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के सम्मान समारोह में कहा था कि न्यायाधीश जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। आज की न्यायपालिका मानवीय अनुभवों की जटिलताओं को नजरअंदाज करते हुए कानूनी मामलों को सख्त काले और सफेद शब्दों में देखने का जोखिम नहीं उठा सकती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि न्यायपालिका में लोगों से दूरी रखना असरदार नहीं है। उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को लोगों से जुड़ने से बचना चाहिए।