चेन्नईः अभी तक सड़कों पर ग्रीन कॉरिडोर कर मानव अंगों को अस्पतालों तक तेजी गति से पहुंचाया गया है। लेकिन चेन्नई में अब मेट्रो के जरिये एक मानव अंग अस्पताल पहुंचा कर एक व्यक्ति की जान बचायी गई। चेन्नई मेट्रो ने यह कारनामा किया है। उसने एक जीवन रक्षक अंग मीनाम्बक्कम मेट्रो स्टेशन से एजी-डीएमएस मेट्रो स्टेशन तक 21 मिनट में पहुंचाया।
बेंगलुरु से चेन्नई एयरपोर्ट पहुंचा था फेफड़ा
चेन्नई मेट्रो ने एक बयान में कहा कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के दिशानिर्देशों के अनुसार मेट्रो रेलवे (कैरिज और टिकट) संशोधन नियम, 2023 में हाल में किए गए संशोधनों के कारण यह संभव हो पाया है। अंग पहुंचाने वाली टीम बेंगलुरु से एयर एम्बुलेंस द्वारा चेन्नई हवाई अड्डे पहुंची और आठ नवंबर को दोपहर दो बजकर सात मिनट पर मीनाम्बक्कम मेट्रो स्टेशन पहुंची।
चेन्नई मेट्रो के बयान में कहा गया है, ‘चेन्नई मेट्रो रेल अधिकारियों और स्टेशन कर्मचारियों के सहयोग और समन्वय से, टीम मेट्रो ट्रेन में सवार हुई और सात स्टेशन को पार करते हुए दोपहर दो बजकर 28 मिनट पर एजी-डीएमएस मेट्रो स्टेशन सुरक्षित रूप से पहुंच गई।’
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पूर्व राज्यपाल ने केंद्र सरकार की प्रशंसा की
बयान के मुताबिक मेडिकल टीम तुरंत एम्बुलेंस से ग्रीम्स रोड स्थित अपोलो अस्पताल रवाना हो गई, जहां फेफड़े के प्रतिरोपण की प्रक्रिया होनी थी। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि केंद्र सरकार की ‘एक राष्ट्र एक अंग’ नीति ने प्रतिरोपण के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक अंगों को साझा करना संभव बनाया है।
सुंदरराजन ने मानव अंग ऊतक परिवहन अधिनियम (टीओटीए), 1994 के दायरे में राज्य की सीमाओं के पार अंगों को साझा करना संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तमिलनाडु एवं कर्नाटक के चिकित्सकों को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के जरिए बधाई दी।