पटना : मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची कल यानी एक अगस्त को जारी होगी और उसमें नाम जोड़ने या हटाने के लिए एक सितंबर तक का समय मिलेगा। यह प्रक्रिया 'विशेष गहन पुनरीक्षण' के तहत हो रही है, जिसकी प्रतियां सभी जिलों में राजनीतिक दलों को दी जाएंगी। विपक्षी दल इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि इससे पात्र मतदाता वंचित हो सकते हैं और सत्ता पक्ष चुनाव तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि बिहार की मसौदा मतदाता एक अगस्त को प्रकाशित की जाएगी। सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए राजनीतिक दलों और लोगों को पूरे एक महीने का समय दिया जाएगा। सीईसी कुमार ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के लिए जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत एक अगस्त को प्रस्तावित सूची प्रकाशित की जाएगी। जिला चुनाव अधिकारी बिहार के सभी 38 जिलों में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को इस सूची की प्रिंट और डिजिटल प्रति उपलब्ध कराएंगे।
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) और सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) किसी भी मतदाता या राजनीतिक दल से एक अगस्त से एक सितंबर तक आपत्तियां और सुझाव मांगेंगे। इसमें कोई भी पात्र मतदाता अपना नाम जोड़ने, किसी अपात्र व्यक्ति का नाम हटवाने या सूची में कोई सुधार कराने के लिए आवेदन कर सकता है।
क्या आरोप लगा रहे विपक्षी दल
सीईसी का यह बयान उस समय आया है, जब विपक्षी दल लगातार एसआईआर प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में दस्तावेजों की कमी के कारण बहुत से योग्य नागरिकों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। विपक्षी दलों का यह भी आरोप है कि बिहार में स्थानीय चुनाव अधिकारियों को सत्ताधारूढ़ भाजपा-जदयू गठबंधन अपने पक्ष में प्रभावित कर सकता है। इसी मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में मानसून सत्र के दौरान रोजाना हंगामा हो रहा है।