सबिता, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : छठ पूजा में आपने देखा होगा कि महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं। घाटों पर महिलाएं सज-संवरकर जाती हैं, तो उनके माथे पर चमकता हुआ नाक से मांग तक लगा नारंगी सिंदूर सबका ध्यान खींच लेता है। इस विशेष सिंदूर को भखरा सिंदूर कहा जाता है, जिसकी अपनी अनोखी मान्यताएं हैं। नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे प्रौराणिक कथाएं हैं। विशेषकर बिहार, यूपी, झारखंड में विवाहित महिलाएं पर्व तीज त्योहाराें में भखरा सिंदूर लगाती हैं खासकर छठ के महापर्व पर घाटों पर महिलाएं एक दूसरे को नाक से मांग तक भखरा सिंदूर लगाती हैं। क्या मान्यता है इसके पीछे।
छठ पर्व से संबंध :
संगीता राय छठव्रती ने बताया कि छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का पर्व है, और नारंगी रंग सूर्य का प्रतीक माना जाता है। छठव्रतियों द्वारा नारंगी या लालिमा लिए सिंदूर लगाना ऊर्जा, सकारात्मकता और सूर्य की कृपा का प्रतीक माना जाता है। कई महिलाओं का मानना है कि इसलिए भी नारंगी रंग की सिंदूर लगायी जाती है नारंगी रंग महिलाओं में ऊर्जा सकरात्मक लाने वाला माना जाता है। महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर सौभाग्य और मांगल कामना करती हैं।
नाक “इज्जत” का प्रतीक है और सिंदूर “शौर्य” का
छठव्रतियों का कहना है कि नाक “इज्जत” का प्रतीक है और सिंदूर “शौर्य” का। इसलिए जब महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर लगाती हैं, तो यह उनके भीतर की शक्ति, आस्था और अपने परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक बन जाता है। स्त्री के आत्मसम्मान और वैवाहिक जीवन की गरिमा दोनों को दर्शाता है। लिलुआ की रहने वाले एक छठव्रती प्रतिमा सिंह ने कहा कि महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए भखरा सिंदूर लगाती हैं। परिवार और दांपत्य जीवन में सुख शांति बनी रहे इसके लिए भखरा सिंदूर को लगाती हैं। शादी में लड़की की मांग नारंगी रंग की सिंदूर से भरी जाती है। दुल्हन जब ससुराल आती है तो सिंहोरा में भखरा सिंदूर लेकर ही आती हैं। हमलोग हर पर्व त्योहार में नारंगी रंग की सिंदूर लगाती हैं।
भखरा सिंदूर का शादी और सूर्य उदय से संबंध : दूसरी ओर हिंदू समाज में शादियों में सिंदूर दान का समय आते हुए लगभग भोर हो जाता है। इसलिए सिंदूर को सूर्य उदय के समय होने वाली लालिमा से भी जोड़कर माना जाता है। इस समय आकाश में लालिमा होती है। जिसे नारंगी सिंदूर के रूप में माना जाता है। इसलिए नारंगी रंग की सिंदूर सूर्य की लालिमा और नवजीवन की शुरुआत का द्योतक माना जाता है।
पौराणिक मान्यताएं : कई कथाओं में कहा गया है कि सिंदूर माता पार्वती और शक्ति का प्रतीक है। इस कारण इसे लगाना देवी शक्ति की आराधना का एक रूप भी माना जाता है। इनके अलावा भी अलग अलग मान्यताएं हैं।