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बारासात : SIR की सुनवाई से बीमार, बुजुर्गों और माताओं की बढ़ी मुश्किलेंं

किसी को हजारों रुपये खर्च कर गाड़ी करनी पड़ी बुक तो कोई दुधमुंहे को लेकर पहुंची

निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बारासात : SIR की सुनवाई आम जनता विशेषकर बुजुर्गों और बीमारों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। उत्तर 24 परगना के बारासात स्थित छोटा जागुलिया आईटीआई कॉलेज में सहित कई सुनवाई केंद्रों में सोमवार को सुनवाई के दौरान लोगों को परेशानी उठाते हुए वहां पहुंचते देखा गया, जहां 85 वर्ष तक की बीमार महिलाओं को भारी खर्च और शारीरिक कष्ट झेलकर केंद्रों तक पहुंचना पड़ा। हृदयपुर निवासी 85 वर्षीया एक वोटर की तबीयत इतनी नाजुक थी कि वे लाइन में खड़ी भी नहीं हो सकती थीं। उनके परिजनों बताया कि उन्हें लाने-ले जाने के लिए उन्हें काफी रुपये खर्च कर गाड़ी किराए पर लेनी पड़ी। चूंकि वृद्धा चलने में असमर्थ थीं, इसलिए गाड़ी के भीतर ही उनके दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। इसी तरह अन्य कई बुजुर्गों के परिजनों का आरोप है कि बीएलओ (BLO) को बीमारी की सूचना देने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली और उन्हें 'जैसे भी हो' आने को मजबूर किया गया। इसी बीच आमडांगा में सुनवाई के दौरान बुजुर्ग श्यामली घोष की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इन घटनाओं ने राज्यभर में चल रही इस चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्रबंधन पर गंभीर सवालिया निशान लगा दिए हैं।

व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

सुनवाई केंद्र पर केवल बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि छोटे बच्चों को गोद में लेकर घंटों कतार में खड़ी माताओं का धैर्य भी जवाब दे गया। बारासात नगर पालिका के चेयरमैन सुनील मुखर्जी ने इस पूरी प्रक्रिया को 'अमानवीय' करार दिया। उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोगों से दस्तावेज तो जमा कराए जा रहे हैं, लेकिन बदले में कोई प्राप्ति रसीद (Receive Copy) नहीं दी जा रही है। यदि भविष्य में ये कागजात खो जाते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?

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