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बांग्लादेश : रिहाई से पहले ही हिंदू नेता के खिलाफ नया गिरफ्तारी वारंट

कट्टरपंथियों की तरह काम कर रही बांग्लादेश की न्यायपालिका

ढाका : बांग्लादेश की अदालत भी वहां की कट्टरपंथियों के इशारों पर नाच रही है। बेबुनियाद आरोपों पर गिरफ्तार कर जेल में बंद किए गए हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन एक स्थानीय अदालत ने इस आदेश पर रोक लगा दी। अब रिहाई से पहले ही उन्हें चार और मामलों में मंगलवार को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया गया। इसके एक दिन पहले अदालत ने हत्या के एक मामले में उनके खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी। चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एसएम अलाउद्दीन महमूद ने ‘वर्चुअल’ सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया।

इस्कॉन के पूर्व पदाधिकारी दास को पिछले साल 25 नवंबर को राष्ट्रीय ध्वज के कथित अपमान को लेकर देशद्रोह के झूठे मामले में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार किया गया था। चटगांव की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें अगले दिन जेल भेज दिया था। उनकी गिरफ्तारी को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और उनके अनुयायियों ने ढाका और अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया। सहायक लोक अभियोजक मोहम्मद रेहानुल वाजेद चौधरी के अनुसार, जिन चार मामलों में अदालत ने मंगलवार को कार्रवाई की उनमें कोतवाली पुलिस थाने में पुलिस के काम में बाधा डालना और वकीलों तथा न्याय चाहने वालों पर हमला शामिल है।

जेल में थे, फिर भी हत्या का आरोप

दास को उनकी ‘सुरक्षा और समग्र स्थिति’ को ध्यान में रखते हुए सुनवाई के लिए ‘वर्चुअल’ माध्यम से अदालत के समक्ष पेश किया गया था। अदालत ने सोमवार को सहायक सरकारी अभियोजक सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के सिलसिले में दास की गिरफ़्तारी का आदेश दिया जिसकी हिंदू नेता की गिरफ्तारी के बाद भड़के हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। हैरानी की बात यह है कि जब हत्या हुई, तब दास जेल में थे, फिर भी उन्हें आरोपित किया गया है।

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