ईटानगर : अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष बोसीराम सिरम ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर भारतीय सीमा के पास 137 बिलियन डॉलर की बांध परियोजना को चीन द्वारा हाल ही में मंजूरी दिये जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
सिरम ने इस परियोजना को भारत और बांग्लादेश जैसे निचले देशों के लिए एक बड़ा पारिस्थितिक और रणनीतिक खतरा बताते हुए भारत सरकार से आग्रह किया कि वह उकसावे के बजाय कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव के माध्यम से दृढ़ता से लेकिन समझदारी से जवाब दे। पूर्व मंत्री सिरम ने कहा कि चीन की परियोजना बहुत बड़ा जोखिम पैदा करती है लेकिन भारत को ‘जैसे को तैसा’ वाली प्रतिक्रिया से बचना चाहिए। हमें इस मुद्दे को वैश्विक मंचों पर ले जाना चाहिए और अपनी चिंताओं को जिम्मेदारी से व्यक्त करना चाहिए। क्षेत्र में भारत की अपनी जलविद्युत महत्वाकांक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए सिरम ने याद दिलाया कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तत्कालीन ऊर्जामंत्री पी आर कुमारमंगलम ने 1998 में अरुणाचल प्रदेश में 21,000 मेगावाट की सियांग जलविद्युत परियोजना की योजना शुरू की थी।
उन्होंने कहा कि बाद में 2013 में कांग्रेस सरकार के तहत तत्कालीन मुख्यमंत्री मुकुट मिथी ने 50,000 मेगावाट बिजली पैदा करने के केंद्र के दृष्टिकोण का समर्थन किया, जिसमें से आधे की उम्मीद अकेले अरुणाचल से थी जबकि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने शुरू में राज्य की जलविद्युत क्षमता का अनुमान 48,000 मेगावाट लगाया था, एक संशोधित आकलन ने इसे 58,000 मेगावाट आंका, जिससे अरुणाचल को ‘भारत का भावी बिजली घर’ का खिताब मिला। सिरम ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील और भूकंपीय रूप से सक्रिय जोन V क्षेत्र में बड़े बांधों के अनियंत्रित निर्माण के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जलविद्युत के खिलाफ नहीं है लेकिन हम टिकाऊ, छोटे और मध्यम स्तर की परियोजनाओं की वकालत करते हैं जो पर्यावरण और लोगों की सुरक्षा दोनों की रक्षा करती हैं। उन्होंने तिब्बत में बांध टूटने के कारण पासीघाट में 2000 में आयी विनाशकारी बाढ़ को भी याद किया।