निधि, सन्मार्ग संवाददाता
बनगांव: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया जहाँ एक ओर राजनीतिक खींचतान का केंद्र बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर इसने समाज में दबे कई चौंकाने वाले 'राज' भी उजागर किए हैं। इन्हीं खुलासों के बीच, बनगांव से एक अविश्वसनीय घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय प्रशासन को बल्कि एक पूरे परिवार को चिंता में डाल दिया है।
बनगांव दक्षिण विधानसभा के 191 नंबर पार्ट के निवासी रवींद्रनाथ विश्वास इस चौंकाने वाली स्थिति के शिकार बने हैं। रवींद्रनाथ अब तक पाँच लोगों के एक सामान्य परिवार के मुखिया थे, जिसमें वह, उनकी पत्नी और उनके तीन वास्तविक बेटे — नयन विश्वास, अयन विश्वास और सायन विश्वास — शामिल हैं। उन्हें उम्मीद थी कि एसआईआर के तहत उनके परिवार के पाँच सदस्यों के लिए फॉर्म आएगा, लेकिन जब बीएलओ (बूथ स्तरीय अधिकारी) उनके घर फॉर्म लेकर पहुँचे, तो रवींद्रनाथ चौंक गए।
बीएलओ ने उन्हें पाँच के बजाय सात लोगों के लिए फॉर्म थमाए। फॉर्म की जाँच करने पर जो सच्चाई सामने आई, वह कल्पना से परे थी। रवींद्रनाथ को पता चला कि राजू विश्वास और बिशु विश्वास नाम के दो अनजान युवकों ने मतदाता सूची में उन्हें अपना 'पिता' दिखाकर वोटर कार्ड बनवा लिया है।
तीन बेटों के पिता रवींद्रनाथ को अचानक दो 'अतिरिक्त बेटों' का पता चला, जिससे वह गहरी चिंता और सदमे में हैं। रवींद्रनाथ ने तत्काल इस धोखाधड़ी की शिकायत गायघाटा के बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) नीलाद्रि सरकार से की है। उन्होंने अपनी शिकायत में स्पष्ट कहा है कि वह राजू विश्वास और बिशु विश्वास नाम के इन दोनों युवकों को न तो पहचानते हैं और न ही उनका उनके परिवार से कोई संबंध है। रवींद्रनाथ ने पुरज़ोर मांग की है कि इन दोनों 'नकली बेटों' के नाम मतदाता सूची से तत्काल हटाए जाएँ।
पीड़ित ने बीडीओ से की है शिकायत
इस मामले पर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा तेज हो गई है। यह घटना दर्शाती है कि पिछली मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में किस तरह की गंभीर त्रुटियाँ या संभवतः धोखाधड़ी हुई है, जिसके चलते अज्ञात लोगों ने आसानी से फर्जी दस्तावेज़ बनवा लिए।
गायघाटा के बीडीओ नीलाद्रि सरकार ने मिली शिकायत पर कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने मीडिया को बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जाँच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, "मिली शिकायत पर मामले की जाँच शुरू की गयी है। रवींद्रनाथ के उक्त दो नकली बेटे कौन हैं, उनका पता लगाया जा रहा है और जल्द ही इस विसंगति को ठीक किया जाएगा।"
रवींद्रनाथ विश्वास का यह मामला एसआईआर प्रक्रिया के दौरान सामने आ रही अनियमितताओं का सिर्फ एक उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि मतदाता सूची में मौजूद इस तरह की विसंगतियों को दूर करने के लिए विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया कितनी आवश्यक है।