न्यूयॉर्क : न्यूयॉर्क में 14 अप्रैल का दिन अंबेडकर दिवस के रूप में घोषित किया है। मेयर कार्यालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यहां यह जानकारी दी।
डॉ. अंबेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में लिया गया यह फैसला
न्यूयॉर्क सिटी मेयर कार्यालय के अंतरराष्ट्रीय मामलों के उपायुक्त दिलीप चौहान ने यहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री डॉ. रामदास अठावले की उपस्थिति में यह घोषणा की। अठावले ने सोमवार को डॉ. अंबेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया। मंत्री अठावले ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समानता, प्रतिनिधित्व और मानवाधिकार के जिन सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी, वह आज 2030 के सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
वह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। अठावले ने कहा,‘डॉ. अंबेडकर का जीवन केवल भारत के लिए नहीं, संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने जाति, गरीबी और औपनिवेशिक उत्पीड़न की सीमाओं को पार करते हुए वैश्विक मानवाधिकार आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।’ संबंधित कार्यक्रम भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित किया गया जिसमें भारतीय प्रवासी, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी और नागरिक समाज के सदस्य शामिल हुए। अठावले ने कहा कि मंत्रालय डॉ. अंबेडकर की विरासत को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए कई योजनाएं चला रहा है जिनमें अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए ‘नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप’, ‘पीएम-दक्ष योजना’ और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए ‘स्माइल स्कीम’ शामिल हैं।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि डॉ. अंबेडकर लोकतंत्र को जीवनशैली मानते थे और संविधान की नैतिकता को लागू करने के लिए संस्थागत ढांचे को माध्यम मानते थे। ‘फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होराइजन’ के अध्यक्ष दिलीप म्हासके और हार्वर्ड डिविनिटी स्कूल के ‘विजिटंग प्रोफेसर’ संतोष राऊत ने भी डॉ. अंबेडकर के विचारों की वैश्विक प्रासंगिकता को रेखांकित किया।