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World Homeopathy Day: क्यों मनाते हैं विश्व होम्योपैथी दिवस ? जानें इतिहास व थीम

World Homeopathy Day: हर साल 10 अप्रैल को 'विश्व होम्योपैथी दिवस' या 'वर्ल्ड होम्योपैथी डे' मनाया जाता है। पहला 'विश्व होम्योपैथी दिवस' 10 अप्रैल, 2005 को जर्मन फिजिशियन, स्कॉलर सैमुअल हैनीमैन की जयंती के सम्मान में मनाया गया, जिन्हें होम्योपैथी का संस्थापक माना जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य होम्योपैथिक उपचार या दवाओं दवाओं के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस साल विश्व होम्योपैथी दिवस को एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल की थीम 'होम्योपैथी : पीपल्स चॉइस फॉर वेलनेस' (Homeopathy: People's Choice for Wellness) रखी गई है। भारत में होम्योपैथी सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। ये आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) सेवाओं में दूसरे स्थान पर है. आज भारत समेत पूरी दुनिया में लोग होम्योपैथी दवाओं पर भरोसा कर रहे हैं।

क्या है World Homeopathy Day का इतिहास ?
होम्योपैथी इलाज में दवाओं और सर्जरी का उपयोग नहीं होता है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर कोई एक व्यक्ति है, उसके अलग-अलग लक्षण होते हैं और उसी के अनुसार इलाज किया जाना चाहिए। जर्मन चिकित्सक और केमिस्ट सैमुअल हैनीमैन (1755-1843) द्वारा व्यापक रूप से सफलता पाने के बाद 19वीं शताब्दी में होम्योपैथी को पहली बार प्रमुखता मिली। लेकिन इसकी उत्पत्ति 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व की है, जब 'चिकित्सा के जनक' हिप्पोक्रेट्स ने अपनी दवा की पेटी में होम्योपैथी उपचार पेश किया था। विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा की इस अलग प्रणाली के बारे में जागरूकता लाना है ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ प्राप्त कर सकें।

Homeopathy क्या है ?

अन्य चिकित्सा पद्धति की तरह होम्योपैथी का भी काफी महत्व है। अधिकतर लोग इस चिकित्सा पद्धति के जरिए बीमारियों का जड़ से इलाज कराने में यकीन करते हैं और होम्योपैथी को बेहद फायदेमंद बताते हैं। होम्योपैथी का कोई नुकसान नहीं होता है और न ही ये शरीर के अन्य अंगों को कोई हानि पहुंचाता है।

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