कोलकाता : क्षमावाणी सौहार्द, सौजन्यता और सद्भावना का पर्व है। जाने-अनजाने में किसी तरह के अपराध या गलती के प्रति पश्चाताप का भाव रखते हुए क्षमावाणी का पर्व मनाया जाता है। चिर-परिचित सभी से मिच्छामी दुक्कड़म करके भूलवश हुई गलती की क्षमा मांगी जाती है। काम, क्रोध, मान, माया, लोभ अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष से दूर रखने की कामना करते हुए भगवान की पालकी यात्रा निकाली जाती है। पाप का शोषण और पुण्य का पोषण के लिए पर्युषण मनाया जाता है। पर्युषण के अंतिम रोज क्षमावाणी पर्व आता है, जिसमें मन को सरल, सहज और आत्मा को संवारने का समय मिलता है। इसमें अपराधों को नष्ट करना और ह्दय को निर्मल करने का मौका मिलता है।