कोलाघाट : रविवार को दोपहर 1.15 बजे कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट की दो काफी पुरानी और बेकार चिमनियाँ जोरदार धमाके के साथ जमीन पर गिर गईं। पहले, छह चिमनियाँ अपना सिर ऊंचा करके खड़ी देखी जा सकती थीं। इस दिन से यह संख्या घटकर चार हो गयी है। मालूम हो कि पूर्व मिदनापुर के कोलाघाट की पहचान काफी हद तक थर्मल पावर प्लांट से जुड़ी हुई है और ये 6 चिमनियाँ इसकी खासियतों में से एक थीं। चिमनी का भी एक लम्बा इतिहास है। राज्य में बिजली की बढ़ती मांग के कारण 1984 में कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट का निर्माण किया गया। इस संयंत्र को सबसे पहले 210 मेगावाट क्षमता वाली इकाई के साथ चालू किया गया था। कोलाघाट थर्मल पावर स्टेशन का विस्तार 1985 में हुआ था। उस समय दो चरणों में 210 मेगावाट की पांच अतिरिक्त इकाइयां बनाई गईं। चूंकि पहली और दूसरी इकाई की अवधि समाप्त हो चुकी है, इसलिए आज उन इकाइयों की दो चिमनियों को ध्वस्त कर दिया गया। इस संबंध में कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट के पर्यावरण प्रदूषण निवारण समिति के प्रवक्ता नारायण चंद्र नायक ने बताया कि थर्मल पावर प्लांट के अधिकारियों ने दूसरे चरण की तीन और पहले चरण की तीसरी चिमनी के मुहाने पर आधुनिक ईएसपी मशीनें लगाई हैं। लेकिन पहले चरण की पहली और दूसरी चिमनियां, जो पुराने मॉडल पर बनी थीं, का आधुनिकीकरण नहीं किया जा सका। इसी कारण राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दोनों चिमनियों को बंद करने का आदेश दिया। चूंकि चिमनियाँ कार्यात्मक नहीं थीं, इसलिए उन्हें ध्वस्त करने का आदेश दिया गया। जानकारी मिली कि उन दोनों चिमनियों को तोड़ने के लिए विशेषज्ञों को बुलाया गया था और उनकी देखरेख में ही उन चिमनियों को ध्वस्त किेया गया।