दक्षिण कोरिया : अपने करियर के अंतिम पड़ाव में अनुभवी तीरंदाज दीपिका कुमारी एक बार फिर विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने की कोशिश करेंगी जिसमें भारत 15 साल की गाथा खडके की अगुवाई में अगली पीढ़ी का प्रदर्शन करने को तैयार है। पुणे की गाथा ने राष्ट्रीय ट्रायल्स में चमकदार प्रदर्शन की बदौलत शनिवार से शुरू हो रहे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के लिए सीनियर टीम में अपनी जगह पक्की की। अनुभवी दीपिका और अंकिता भकत के साथ गाथा की उपस्थिति ने अतीत और भविष्य की तीरंदाजों के लिए कंधे से कंधा मिलाकर प्रतिस्पर्धा करने का मंच तैयार कर दिया है। ट्रायल्स में अव्वल रहीं दीपिका के साथ अंकिता और गाथा ने भारत की तीन सदस्यीय रिकर्व महिला टीम बनाई।
गाथा ने जुलाई में मैड्रिड में पदार्पण किया था और चीनी ताइपे की ओलंपियन और विश्व कप पदक विजेता चिउ यी-चिंग को हराकर प्री क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। उनका अंतिम-16 में पहुंचना इस प्रतियोगिता में भारतीय महिलाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा जिससे वह दीपिका और अंकिता से आगे हो गईं। वहीं मां बनने के बाद 31 वर्षीय दीपिका के लिए विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने का एक और मौका है क्योंकि ओलंपिक के साथ यह पदक भी उनकी कैबिनेट में नहीं है। 2011 में पहली बार हिस्सा लेने बाद से इस सबसे प्रतिष्ठित भारतीय तीरंदाज ने केवल टीम रजत पदक (2011, 2015) जीते हैं लेकिन कोई व्यक्तिगत पदक नहीं जीता है।
यह उनकी छठी विश्व चैंपियनशिप होगी। अंकिता महिला टीम की तीसरी सदस्य हैं जिन्होंने दो साल पहले बर्लिन विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया था लेकिन पहले ही दौर में बाहर हो गई थीं। भारतीयों के सामने दक्षिण कोरिया की कड़ी चुनौती होगी जिसकी अगुवाई टोक्यो ओलंपिक चैंपियन एन सान तथा मौजूदा ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की नंबर एक तीरंदाज लिम सिह्योन कर रही हैं। महिला रिकर्व में कोरियाई टीम प्रबल दावेदार हैं और यह देखना होगा कि क्या भारतीय उनकी बाधा पार कर पाते हैं।
पुरुष रिकर्व में धीरज बोम्मादेवरा, नीरज चौहान और राहुल के साथ भारत की अगुवाई करेंगे। कभी देश की सबसे उज्ज्वल ओलंपिक उम्मीद माने जाने वाले धीरज एशियाई खेलों और पेरिस ओलंपिक के बाद आशाओं पर खरे नहीं उतर पाए हैं लेकिन ग्वांगजू में उनके पास वापसी का मौका है। पुरुष टीम डेन बॉश 2019 के रजत पदक की बराबरी करने की उम्मीद करेगी जो रिकर्व तीरंदाजी में भारत का आखिरी पोडियम स्थान था। इस प्रतियोगिता में भारत को सबसे बड़ी सफलता कंपाउंड वर्ग में मिली है जिसमें पिछले चरण में ओजस देवताले और अदिति स्वामी ने क्रमश: पुरुष और महिला दोनों वर्गों में व्यक्तिगत चैंपियन बनकर इतिहास रचा था।