नयी दिल्ली : ब्लेड रनर, कृत्रिम अंगों और व्हीलचेयर की मदद से प्रतिस्पर्धा करने वाले दुनिया के कुछ बेहतरीन पैरा खिलाड़ी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद शनिवार से यहां शुरू हो रही अब तक की सबसे बड़ी विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने अद्भुत साहस, संकल्प और संघर्ष क्षमता का प्रदर्शन करेंगे। भारत विश्व पैरा खेलों का उभरती हुई ताकत बन चुका है और पहली बार इन खेलों की मेजबानी कर रहा है। पांच अक्टूबर तक चलने वाले इस प्रतियोगिता के 12वें सत्र का उद्घाटन गुरुवार को यहां के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुआ।
यह अब तक की सबसे बड़ी पैरा एथलेटिक्स चैपियनशिप है जिसमें 104 देशों के लगभग 2200 खिलाड़ी और अधिकारी मौजूद है। भारत, कतर (2015), यूएई (2019) और जापान (2024) के बाद इस टूर्नामेंट की मेजबानी करने वाला चौथा देश बना है। इस दौरान 1500 से अधिक पैरा एथलीट 186 पदक स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे जो 2024 के जापान (कोबे) सत्र से 15 अधिक हैं। पेरिस पैरालंपिक में 308 (112 स्वर्ण, 96 रजत और 100 कांस्य) पदक जीतने वाले से 100 से अधिक पदक विजेता यहां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
इस बार कुल 101 पुरुष, 84 महिला और मिश्रित स्पर्धा होंगी। यह पहली बार है जब भारत इस चैंपियनशिप की मेजबानी कर रहा है। विश्व पैरा एथलेटिक्स के अध्यक्ष पॉल फिट्जगेराल्ड ने कहा कि इसमें कई विश्व रिकॉर्ड बनेंगे और नए चैंपियन सामने आएंगे। उन्होंने विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘अब तक की सबसे बड़ी पैरा विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी का श्रेय भारत को जाता है।’