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दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद शीतल देवी ने फिर जीता गोल्ड

नई दिल्ली : 16 साल की शीतल देवी अपनी तीरंदाजी से पूरे भारत का दिल जीत रही हैं। चीन के होंगझाऊ में इसी साल हुए एशियाई पैरा गेम्स में दो गोल्ड मेडल समेत तीन मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की इस बेटी ने एक बार फिर सोना जीता है। इस बार यह मेडल उन्होंने खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2023 में जीता है। बता दें कि शीतल जम्मू कश्मीर की रहने वाली हैं। उनका एक गरीब परिवार में जन्म होने से लेकर भारत का इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिनिधित्व करने तक बेहद ही दिलचस्प सफर रहा है। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में जारी खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2023 के पैरा तीरंदाजी कंपाउंड इंडिविजुअल इवेंट में शीतल देवी ने यह गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने पहले इसके सेमीफाइनल में दिल्ली की तनिष्का को हराकर फाइनल में जगह बनाई। इसके बाद उत्तर प्रदेश की ज्योति को फाइनल मुकाबले में हराकर सोना जीता।

जन्म से नहीं थे दोनों हाथ

जम्मू कश्मीर के एक करीब परिवार में जन्मीं इस बेटी का जीवन बचपन से ही परेशानियों से भरा रहा है। 16 साल की शीतल के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे। वह बर्थ के साथ ही फोकोमेलिया नामक बीमारी की चपेट में थीं। इस बीमारी में शरीर के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं। शीतल ने इस बीमारी से हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने तीरंदाजी में अपना सुनहरा करियर बनाया। बता दें कि शीतल बिना हाथों के सिर्फ दांतों और पैरों से तीरंदाजी करती हैं और अचूक निशाना भेदकर कई मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। शीतल ऐसा करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। साथ ही इंटरनेशनल लेवल पर कम्पीट करने वाली भी वह बिना हाथों की पहली तीरंदाज हैं।

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