नयी दिल्ली : भारत 20 साल बाद काॅमनवेल्थ गेम्स (राष्ट्रमंडल खेलों) की मेजबानी करेगा। बुधवार को स्काॅटलैंड के ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक के बाद अहमदाबाद को मेजबान घोषित किया गया। भारत ने काॅमनवेल्थ गेम्स की आखिरी मेजबानी 2010 में दिल्ली में की थी। तब भारतीय खिलाड़ियों ने 38 गोल्ड समेत 101 मेडल जीते थे। तब 1600 करोड़ रुपये का बजट था, लेकिन खर्च हो गए थे 70 हजार करोड़।
20 साल बाद
20 साल बाद भारत में कोई मल्टी स्पोर्ट्स इवेंट होगा। काॅमनवेल्थ गेम्स के अलावा भारत 1951 और 1982 एशियन गेम्स की मेजबानी भी कर चुका है। 2003 में हैदराबाद में एफ्रो-एशियन कप का आयोजन भी हुआ था।
बोली में थी टक्कर
2030 की बोली में भारत का मुकाबला नाइजीरिया के शहर अबुजा से था, लेकिन कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने अफ्रीकी देश को 2034 एडिशन के लिए विचार में रखने का फैसला किया।
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट के अध्यक्ष
डॉ. डोनाल्ड रुकारे ने कहा, ‘यह राष्ट्रमंडल खेलों के लिए नए सुनहरे दौर की शुरुआत है। भारत व्यापकता, युवा शक्ति, महत्वाकांक्षा, समृद्ध संस्कृति, अपार खेल-जुनून और प्रासंगिकता लेकर आता है। हम राष्ट्रमंडल खेलों के अगले शतक की शुरुआत मजबूत स्थिति में कर रहे हैं।’ राष्ट्रमंडल खेल 2030 में अपने 100 साल भी पूरे कर रहे हैं सो यह संस्करण विशेष रहने वाला है। भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी की दौड़ में भी है और अहमदाबाद को ही मेजबान शहर के रूप में पेश किया गया है।
2010 में 70 हजार करोड़ रुपये हुए थे खर्च
2010 में दिल्ली में हुए काॅमनवेल्थ गेम्स के लिए भारत ने लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च किये थे जो 1600 करोड़ रुपये के प्रारंभिक अनुमान से कहीं अधिक था। चार साल में एक बार होने वाले इन खेलों में 72 देश हिस्सा लेते हैं जिनमें से ज्यादातर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हैं।