कोलकाता : फुटबॉल के मैदान पर भारत के गिरते प्रदर्शन से नाराज करिश्माई पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने राष्ट्रीय महासंघ पर खेल को नष्ट करने का आरोप लगाया है जबकि कुछ अन्य हितधारकों ने मौजूदा प्रणाली को ‘सड़ी हुई’ और ‘अहंकार’ से भरी बताया। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) और उसके अध्यक्ष कल्याण चौबे पर भूटिया का तीखा हमला एएफसी एशियाई कप क्वालीफायर के तीसरे दौर में निचली रैंकिंग वाली हांगकांग के खिलाफ 0-1 की चौंकाने वाली हार के एक दिन बाद आया है। भूटिया ने कहा, ‘यह देखना बहुत दु:खद है कि हम अब एशिया कप के लिए भी क्वालीफाई करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जिसके लिए हम नियमित रूप से क्वालीफाई करते रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘उज्बेकिस्तान, इंडोनेशिया और जोर्डन जैसे देश विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं और हम अब भी एशिया कप के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’ मंगलवार को मिली हार से भारत की 2027 एशियाई कप के लिए क्वालीफाई करने की उम्मीदों को झटका लगा है जबकि टीम इससे पहले लगातार दो एशियाई कप में खेली थी। पूर्व भारतीय कप्तान ने चौबे के इस्तीफे और भारतीय फुटबॉल में संरचनात्मक बदलाव की मांग की। उन्होंने मैदान पर लचर प्रदर्शन और मैदान के बाहर की अराजकता को गहरी सड़न के लक्षण बताया। मौजूदा भारतीय मुख्य कोच मनोलो मारक्वेज इंडियन सुपर लीग की टीम एफसी गोवा के भी कोच हैं।
उन्होंने पिछले साल जुलाई में क्रोएशियाई दिग्गज इगोर स्टिमक की जगह पदभार संभाला था। गुवाहाटी में विश्व कप क्वालीफायर में अफगानिस्तान से हार सहित कई निराशाजनक परिणामों के बाद स्टिमक को बर्खास्त कर दिया गया था। मंगलवार हुए अहम मैच से पहले भारत ने कोलकाता में करीब तीन सप्ताह तक अभ्यास किया था लेकिन उसे विश्व रैंकिंग में अपने से 26 पायदान नीचे की टीम (भारत: 127, हांगकांग: 153) से हार का सामना करना पड़ा। इस हार से फीफा रैंकिंग में देश के 133वें स्थान पर खिसकने की संभावना है। भूटिया को सितंबर 2022 में एआईएफएफ के अध्यक्ष पद के चुनाव में चौबे ने हराया था।
उन्होंने मौजूदा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और मनोलो की नियुक्ति सहित अहम निर्णयों में प्रमुख फुटबॉल समितियों को दरकिनार करने का आरोप लगाया। भूटिया ने कहा, ‘कल्याण चौबे ने भारतीय फुटबॉल को बर्बाद कर दिया है। चौबे को इस्तीफा देकर चले जाना चाहिए। उन्होंने इसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। ढाई साल में तीन महासचिव-पूरी संरचना, व्यवस्था को बदलना होगा।’ भूटिया ने इंटर काशी और चर्चिल ब्रदर्स के बीच चैंपियनशिप के लिए चल रहे कानूनी झगड़े का जिक्र करते हुए कहा, ‘एक के बाद एक विवाद, भ्रष्टाचार के आरोप... महीनों बाद भी हमें नहीं पता कि आईलीग विजेता कौन है।’ उन्होंने चौबे पर तकनीकी समिति को दरकिनार कर मनोलो को नियुक्त करने का आरोप लगाया और स्पेन के इस कोच को एक साथ एफसी गोवा और राष्ट्रीय टीम का कोच बनाने के फैसले की आलोचना की।
भूटिया ने करिश्माई स्ट्राइकर सुनील छेत्री की अंतरराष्ट्रीय संन्यास से वापसी कराने के फैसले की भी आलोचना की और कहा कि यह योजना बनाने से ज्यादा हताशा से प्रेरित एक खराब फैसला था। भूटिया ने एआईएफएफ के उस फैसले की भी आलोचना की जिसमें उसने क्वालीफिकेशन से जुड़े इनाम के बजाय हांगकांग मैच के लिए 50,000 अमेरिकी डॉलर का मैच बोनस देने का फैसला किया था। उन्होंने कहा, ‘आप एक मैच के लिए 42 लाख रुपये दे रहे हैं। इसे क्वालीफिकेशन से क्यों नहीं जोड़ा गया? यह दिखाता है कि प्रबंधन कितना अनजान है।’ भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी गौतम सरकार ने भूटिया का समर्थन करते हुए टीम के खराब प्रदर्शन और महासंघ की विफलताओं पर निराशा व्यक्त की।
सरकार ने कहा, ‘हमने एक इंच भी प्रगति नहीं की है। अगर आपके पास सुनील छेत्री का विकल्प नहीं है तो क्या इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण कुछ हो सकता है?’ उन्होंने कहा, ‘बेशक, महासंघ पूरी तरह से जिम्मेदार है। वे पूरी तरह से विफल रहे हैं।’ दिग्गज डिफेंडर और कोच सुब्रत भट्टाचार्य ने विदेशी कोचों के प्रति जुनून की आलोचना की और भारतीय प्रतिभाओं पर अधिक भरोसा करने की बात कही। भट्टाचार्य ने कहा, ‘इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि विदेशी कोच आपको सफलता दिलाएंगे। पीके बनर्जी और अमल दत्ता जैसे घरेलू कोचों ने गौरव दिलाया।’ उन्होंने कहा, ‘आईएसएल में विदेशी खिलाड़ी भारतीय खिलाड़ियों के विकास में मदद नहीं करेंगे। केवल भारतीय कोच ही हमारे खिलाड़ियों को जानते हैं और उन्हें विकसित कर सकते हैं।’
छेत्री के ससुर भट्टाचार्य ने उनकी वापसी पर कहा, ‘यह उनका निजी फैसला है लेकिन अगर यह किसी के निजी हित को पूरा करने के लिए किया गया है तो यह गलत है।’ भारतीय फुटबॉल के दो प्रमुख क्लब हितधारकों बेंगलुरू एफसी के मालिक पार्थ जिंदल और एफसी गोवा के सीईओ रवि पुष्कर ने भी एआईएफएफ और व्यापक फुटबॉल पारिस्थितिकी तंत्र पर तीखा हमला किया और अपमानजनक हार के मद्देनजर गहन आत्मनिरीक्षण और संरचनात्मक सुधार का आह्वान किया। रवि ने व्यवस्था को इस तरह से सड़ा हुआ बताया कि कोई इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सब कुछ प्रभाव, पक्षपात और अहंकार पर चलता है।
हमारे पास उस पारिस्थितिकी तंत्र को प्रबंधित करने की परिपक्वता नहीं है जिसे हम बनाने का दावा करते हैं। हम असहज सच्चाइयों का सामना करने से पहले ही एक-दूसरे पर हमला कर देते हैं।’ बेंगलुरू एफसी के मालिक पार्थ जिंदल ने भी सोशल मीडिया पर एआईएफएफ पर निशाना साधा और तत्काल सुधार की मांग की। उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है- किसी भी परिस्थिति में यह पर्याप्त नहीं है - एआईएफएफ को गहन आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है। यह वह नहीं है जिसे देखने के लिए हम सभी भारतीय फुटबॉल प्रेमियों और समर्थकों ने अपनी मेहनत की कमाई और प्रयास खर्च किए हैं। समय आ गया है कि एक प्रबंधक और एक ऐसी प्रणाली लागू हो जो काम करे।’