crowd of people at the incident spot  
सिलीगुड़ी

जंगली हाथी ने फिर एक को कुचला, 1 माह में 4 की मौत

- स्थानीय लोगों ने पुलिस और वनकर्मियों के सामने घटना को लेकर किया विरोध प्रदर्शन, नियमित गश्त के साथ सड़क के किनारे विभिन्न स्थानों पर स्ट्रीट लाइटें लगाने की हुई मांग

सन्मार्ग संवाददाता

सिलीगुड़ी : जंगली हाथी का खतरा टलने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर एक जंगली हाथी ने कुचल कर एक व्यक्ति की जान ले ली। तराई-डुआर्स क्षेत्रों में लगभग हर दिन हाथियों के हमले में आम लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। विगत गुरुवार को गाजलडोबा के निकट टाकीमारीचर इलाके में हाथी के हमले में दो युवकों ने जान गंवा दी। इससे पहले इसी टाकीमारी चर इलाके में जंगली दंतैल हाथी के हमले से एक व्यक्ति की जान चली गई थी। इस 1 माह में हाथी के हमले में 4 लोगों की जान चली गई। जिसे लेकर स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया है।

गुरुवार को हाथी हमले में 2 लोगों की जान जाने के दूसरे ही दिन एक बार फिर शुक्रवार रात नक्सलबाड़ी से सटे कलाबाड़ी मोड़ पर ऐसी ही घटना घटी। वहां हाथी के हमले में एक स्थानीय निवासी की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि नक्सलबाड़ी ब्लॉक में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित कलाबाड़ी जंगल से दो हाथी निकलकर रात में कलबाड़ी क्षेत्र में प्रवेश कर गए। उस समय, कलाबाड़ी मोड़ इलाके के निवासी पोश बहादुर छेत्री रात में खाना खाने के बाद अपने घर के सामने सड़क पर टहल रहे थे।

अचानक वह हाथी के सामने आ गए। जिसके बाद एक हाथी ने पोश बहादुर छेत्री को सूंड से उठाकर जमीन पर पटक दिया। जिससे वह मौके पर मर गया। सूचना मिलने पर पुलिस और वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। इसके तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस और वनकर्मियों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने शव को बरामद होने से रोक दिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि लगभग हर दिन हाथी जंगल से निकलकर इलाके में घुस आते हैं। उनकी मांग है कि हाथियों के हमलों को रोकने के लिए क्षेत्र में नियमित गश्त की जाए तथा सड़क के किनारे विभिन्न स्थानों पर स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएं।

बाद में जब वनकर्मियों ने स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगें पूरी कर दी जाएंगी, तो वह प्रदर्शन से हट गए। इसदिन की घटना से स्थानीय निवासी भयभीत हैं। हाथी के हमले में हुई मौत से क्षेत्र में शोक की छाया छा गई है। शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है। वनकर्मी उसी रात दोनों हाथियों को जंगल में वापस भेजने में सफल रहे।

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