View of Rohini Lake  
सिलीगुड़ी

रोहिणी में ठप पड़ा पर्यटन, कैफ़े–रेस्तरां खाली

सड़क धंसने से दार्जिलिंग मार्ग बंद, नहीं जा रहे पर्यटक, व्यापार मंदा, आजीविका पर संकट

सिलीगुड़ी : पहाड़ों की गोद में बैठकर गर्म चाय की चुस्की, भाप उठती मोमोज की प्लेट और सामने चलता बादल–पहाड़ का खेल,रोहिणी का यही दृश्य हर पर्यटक को अपनी ओर खींचता था। दार्जिलिंग या कर्सियांग जाते हुए लोग अक्सर यहां रुककर प्रकृति और स्वाद का आनंद लेते थे। लेकिन 5 अक्टूबर की रात भारी बारिश के बाद आए भूस्खलन ने यह तस्वीर पूरी तरह बदल दी। रोहिणी होकर दार्जिलिंग–कर्सियांग जाने वाला रास्ता बंद हो गया और तब से अब तक बड़े वाहनों के लिए यह मार्ग पूरी तरह ठप है।

सन्नाटा छाए कैफ़े–रेस्तरां, व्यापारियों की रोजी–रोटी पर संकट

रोहिणी के कैफ़े और छोटे रेस्तरां अब लगभग सुनसान हैं। व्यापारियों का कहना है कि दुकानें दिनभर खाली रहती हैं, और भीड़ न होने के कारण वे दूध, चिकन या अन्य सामान स्टॉक में नहीं रख पा रहे हैं। कई कैफ़े अब सिर्फ लाल चाय परोस रहे हैं। चिकन या ताज़ा पकवान नहीं बना पा रहे। सामान ख़राब होने के डर से मेन्यू सीमित कर दिया गया है। कैफ़े मालिक अर्जुन छेत्री का कहना है कि दो महीने से कारोबार तसल्ली से नीचे जा चुका है। ग्राहक न होने के कारण कुछ रखना ही मुश्किल हो गया है। एक अन्य व्यापारी सचिन सुब्बा ने कहा कि पहले रोज़ 100 प्लेट चिकन मोमो बिकना आम बात थी। अब किसी के आने पर ही चाय–नूडल्स बनाते हैं। रोहिणी में हाल ही में रेस्तरां खोलने वाली रुचिका छेत्री और कुनाल दर्जी ने बताया कि प्राकृतिक आपदा ने उनका पूरा निवेश जोखिम में डाल दिया है।

प्रशासन पर दबाव बढ़ा, सड़क मरम्मत की मांग तेज

स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने मंगलवार को संयुक्त रूप से कर्सियांग के एसडीओ को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सड़क दुरुस्त न हुई तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। रोहिणी व्यवसायी समिति की अध्यक्ष पूनम तामांग ने कहा कि सड़क का काम तुरंत पूरा कर वाहन चलना सामान्य किया जाए, नहीं तो हम आंदोलन करेंगे।

जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया

दर्जिलिंग के जिलाशासक मनीष मिश्रा ने कहा कि रोहिणी सड़क की मरम्मत का काम जीटीए द्वारा किया जा रहा है। उम्मीद है एक महीने में काम पूरा हो जाएगा।

पर्यटन और आजीविका दोनों पर संकट

व्यापारियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क बहाल होने पर ही रोहिणी का पर्यटन जीवन वापस पटरी पर आ सकेगा। फिलहाल, प्रकृति के इस प्रहार ने पहाड़ों की सुंदरता के बीच रहने वालों के जीवनयापन को गहरी चोट दी है।

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