सिलीगुड़ी : पहाड़ में समतल यानी मैदानी इलाकों की गाड़ियों को रोकने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मंगलवार को भी लामाहाटा में सिलीगुड़ी से पर्यटकों को लेकर जा रही कई गाड़ियों को रोके जाने की शिकायत सामने आई। समतल के ड्राइवरों का आरोप है कि स्थानीय पहाड़ी ड्राइवरों के समर्थन में वहां की पुलिस भी उन्हें वापस लौटने की सलाह दे रही है, और बहस न करने की चेतावनी दे रही है। समतल के कार चालकों का कहना है कि अगर वे उनकी बात नहीं मानते, तो धमकाया और डराया जाता है। तराई चालक संगठन के अनुसार, डर के माहौल में मंगलवार को किसी भी समतल की गाड़ी ने पर्यटकों को लेकर टाइगर हिल, रॉक गार्डन जैसे लोकप्रिय स्थानों की तरफ जाने की हिम्मत नहीं की।
दार्जिलिंग के जिला शासक मनीष मिश्रा ने कहा है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस और परिवहन विभाग को कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को साथ बैठाकर समाधान निकालना आवश्यक है। यह तनाव पिछले शनिवार को शुरू हुआ, जब एनजेपी स्टेशन के पास पहाड़ के एक ड्राइवर के साथ मारपीट हुई थी। इसके बाद एनजेपी थाने में शिकायत दर्ज होने पर पुलिस ने कदम उठाया, लेकिन उसी दिन से पहाड़ में समतल के ड्राइवरों को रोकने की घटनाएं बढ़ गईं। रविवार से यह स्थिति बन गई है कि समतल की गाड़ियां केवल दार्जिलिंग, कर्सियांग, मिरिक और कालिम्पोंग तक यात्री छोड़कर वापस लौटने को मजबूर हैं। उन्हें किसी भी दर्शनीय स्थल तक जाने की अनुमति नहीं दी जा रही।
तराई चालक संगठन के सचिव मेहबूब खान ने कहा कि घटना के चार दिन बीतने के बाद भी प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि पहाड़ के ड्राइवर कई जगहों पर पुलिस की मौजूदगी में ही समतल के ड्राइवरों को धमका रहे हैं, और हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं।
पर्यटन व्यवसायियों में भी इस स्थिति को लेकर बढ़ता आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि कुछ लोग कानून हाथ में लेकर पूरे पर्यटन ढांचे को नुकसान पहुंचा रहे हैं और प्रशासन चुप बैठा है। व्यापारियों ने कहा कि अगर इस माहौल में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन को लेनी होगी। पर्यटन कारोबारियों ने बताया कि पहाड़ की इस तनावपूर्ण स्थिति का सीधा असर पर्यटन पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बुधवार को पत्रकार सम्मेलन कर आंदोलन की घोषणा की जाएगी।