विवाह पवित्र बंधन 
सिलीगुड़ी

विवाह जैसे पवित्र बंधन को दागदार करता प्री वेडिंग शूट जैसा रिवाज

सिलीगुड़ी: शादी से पहले प्री वेडिंग सूट करना क्या जरुरी बन गया है | लेकिन यह नया रिवाज युवाओं को बहुत भा रहा है जिसके लिए अच्छी खासी रकम अदा करनी पड़ती है | इस नए नवेले रिवाज जिसमें दूल्हा और दुल्हन को हीरो और हीरोइन की तरह पेश किया जाता है | इस पूरी प्रक्रिया में हीरो और हीरोइन यानी दूल्हा और दुल्हन को इस तरह दिखाया जाता है कि ,मानो जन्मों से वे साथ है वे एक दूसरे के बिना जिंदा ही नहीं रह सकते और कुछ प्री वेडिंग शूट अश्लीलता से भी भरी होती है | दूल्हा-दुल्हन के कुछ आपत्तिजनक वीडियो को प्री वेडिंग शूट का नाम देकर पुरे सगे-संबंधी व समाज के सामने परोसा जाता है जिसमें दिखावा और आडंबर कूट-कूट कर भरा रहता है | ऐसे आपत्तिजनक प्री वेडिंग शूट को अभिभावकों बढ़े शान से देखते भी है और दिखाते भी है |

शादी से पहले होने वाले इस प्री वेडिंग शूट को लेकर हमने सिलीगुड़ी के कुछ जानेमाने लोगों से संपर्क किया उन्होंने जो प्रक्रिया दी वो कहीं न कहीं भ्रमित होते समाज को सचेत कर सकती है |

संगीता रेड्डी जो एक विख्यात डॉक्टर होने के साथ कई तरह के सेवा कार्य से जुड़ी है और हेल्थ सेंटर की ओनर है | उन्होंने अपने विचार को रखते हुए कहा कि, प्री वेडिंग शूट एक आडंबर है, यह नहीं होना चाहिए यह हमारी संस्कृत और सभ्यता के खिलाफ है | यदि वेडिंग शूट करना ही है तो शादी के बाद करें | क्योंकि शादी के बाद ही एक लड़का और लड़की, पति-पत्नी बनते है | साथ ही उन्होंने यह भी संदेश दिया कि, एक प्रतिष्ठित व्यक्ति समाज के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं, उनकी यह जिम्मेदारी होती है कि, वे इस तरह के आडंबर को प्रोत्साहित न करें | क्योंकि उन्हें देखकर ऐसे बहुत से लोग हैं जो प्रेरित होकर वे भी इसी दिशा में अपना कदम बढ़ाएंगे | एक तो प्री वेडिंग शूट में बहुत ज्यादा खर्च लगता है दूसरा यह समाज को सही संदेश भी नहीं देता है | इसलिए एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को इस प्री वेडिंग शूट से दूरी बना लेनी चाहिए | क्योंकि यह हमारे आने वाली पीढ़ी को भ्रमित कर सकती है शादी में अभिभावकों को प्री वेडिंग शूट जैसी फिजूल खर्ची को रोकना चाहिए | विवाह एक पवित्र बंधन है उसे गलत रिवाज से बांधना सभ्यता के खिलाफ है |

रविंद्र जैन जो सिलीगुड़ी के जाने माने चेहरे और एक विख्यात समाजसेवी है | उन्होंने भी प्री वेडिंग शूट के खिलाफ ही अपने शब्दों को रखते हुए कहा कि, यह एक ऐसा रिवाज है जो समाज को गलत राह पर ले जा रहा है | शादी एक प्रेम की परिभाषा है जो नए रिश्तें और संबंध को आगे बढ़ाती है जिसमें दिखावे की कोई जगह नहीं है | शादी से पहले लड़का और लड़की का एक साथ रहना फिर प्री वेडिंग शूट करना और उसे पूरे परिवार व समाज के सामने दिखाना यह कभी हमारी संस्कृति नहीं रही है | लोग काफी मेहनत के बाद पैसे कमाते हैं और व्यस्ततम जीवन में समय के अभाव के कारण अपनों से संपर्क नहीं कर पाते हैं वैसे में प्री वेडिंग शूट जैसे रिवाज में पैसे और समय बर्बाद करना यह उचित नहीं होगा | जितना हो सके शादी को सरल तरीके से करें और अच्छें व ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय दें | क्योंकि हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने समाज को आडंबर की दिशा में जाने से रोके और आने वाली पीढ़ी को हमारी संस्कृति व सभ्यता के बारे में जानकारी दें |

युवा संवाददाता एवं एड मार्कटिंग से जुड़े अमर साह ने भी युवाओं को सही राह दिखाने का प्रयास करते हुए कहा कि, शादी मतलब रीति रिवाज है और इस रीति रिवाज पर धीरे-धीरे एक संकट नजर आ रहा है | जहां लोग संस्कार और संस्कृति से दूर होते हुए नजर आ रहे है | कुछ लोग अपनी संस्कृति को भूल कर एक ऐसे संस्कार वाली प्रथा को महत्व दे रहे हैं जिसे प्री वेडिंग के नाम से जाना जाता है | वह दिन दूर नहीं जब वेस्टर्न कल्चर भारत पर पूरी तरीके से हावी होगा और लोग ऐसे प्री वेडिंग शूट के लिए शादी की गंभीरता को हल्के में ले रहें हैं | हालांकि यह सभी परिवारों में नहीं देखा जाता लेकिन आजकल की युवा पीढ़ी इसे अपना रही है और कुछ अभिभावक इसका समर्थन भी करते है | वहीं दूसरी तरफ लोग यह भी मानते हैं की प्री वेडिंग शूट से कई रिश्ते टूटते भी हैं | उन्होंने युवा पीढ़ी को इस नए रिवाज से दूर रहने की अपील की है |

राजू ओझा एक शिक्षक है जो कोचिंग सेंटर चलाते है | उन्होंने भी कहा कि, प्री वेडिंग शूट आधुनिकता का एक नया शब्द, आम तौर पर विवाह के पहले जिस पर अमल किया जाता है। ये आधुनिक विवाहेतर संबंधों में अपनी गहरी पैठ जमा चुका है। यह शब्द और यह रिवाज़ ही बुरा है। यह हमारे सभ्य संस्कृति एवं नैतिक मूल्यों को बर्बाद कर रहा है । शूट के नाम पर मर्यादाओं को भंग किया जा रहा है। जो काफी खचीला भी हैं। इसके अलावा यह दिखावटी और पैसों की बर्बादी का भी रूप है। यह ट्रेन्डिंग कला हानिकारक और अनुचित है | एक अभिभावक ही शादी जैसे अहम फैसले को लेते हैं तो उन्हें इस रिवाज के प्रति भी खुलकर अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए और जितना हो सकें प्री वेडिंग शूट जैसे रिवाज को रोकने की कोशिश करनी चाहिए |

युवा संवाददाता एवं एड मार्कटिंग से जुड़े अमर साह ने भी युवाओं को सही राह दिखाने का प्रयास करते हुए कहा कि, शादी मतलब रीति रिवाज है और इस रीति रिवाज पर धीरे-धीरे एक संकट नजर आ रहा है | जहां लोग संस्कार और संस्कृति से दूर होते हुए नजर आ रहे है | कुछ लोग अपनी संस्कृति को भूल कर एक ऐसे संस्कार वाली प्रथा को महत्व दे रहे हैं जिसे प्री वेडिंग के नाम से जाना जाता है | वह दिन दूर नहीं जब वेस्टर्न कल्चर भारत पर पूरी तरीके से हावी होगा और लोग ऐसे प्री वेडिंग शूट के लिए शादी की गंभीरता को हल्के में ले रहें हैं | हालांकि यह सभी परिवारों में नहीं देखा जाता लेकिन आजकल की युवा पीढ़ी इसे अपना रही है और कुछ अभिभावक इसका समर्थन भी करते है | वहीं दूसरी तरफ लोग यह भी मानते हैं की प्री वेडिंग शूट से कई रिश्ते टूटते भी हैं | उन्होंने युवा पीढ़ी को इस नए रिवाज से दूर रहने की अपील की है |

राजू ओझा एक शिक्षक है जो कोचिंग सेंटर चलाते है | उन्होंने भी कहा कि, प्री वेडिंग शूट आधुनिकता का एक नया शब्द, आम तौर पर विवाह के पहले जिस पर अमल किया जाता है। ये आधुनिक विवाहेतर संबंधों में अपनी गहरी पैठ जमा चुका है। यह शब्द और यह रिवाज़ ही बुरा है। यह हमारे सभ्य संस्कृति एवं नैतिक मूल्यों को बर्बाद कर रहा है । शूट के नाम पर मर्यादाओं को भंग किया जा रहा है। जो काफी खचीला भी हैं। इसके अलावा यह दिखावटी और पैसों की बर्बादी का भी रूप है। यह ट्रेन्डिंग कला हानिकारक और अनुचित है | एक अभिभावक ही शादी जैसे अहम फैसले को लेते हैं तो उन्हें इस रिवाज के प्रति भी खुलकर अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए और जितना हो सकें प्री वेडिंग शूट जैसे रिवाज को रोकने की कोशिश करनी चाहिए |

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