सिलीगुड़ी : शहर में टोटो (ई-रिक्शा) की संख्या इतनी तेज़ी से बढ़ी थी कि उनके आवागमन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन को कई कदम उठाने पड़े। अक्सर यह शिकायत भी उठती रही कि टोटो के कारण ट्रैफ़िक जाम बढ़ता है, जिससे रोज़मर्रा के यात्रियों को काफी परेशानी होती है। लेकिन 4 नवंबर से एसआईआर प्रक्रिया शुरू होते ही शहर का हाल एकदम बदल गया। अचानक शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक टोटो की संख्या में भारी कमी देखी गई। यह बदलाव इतना स्पष्ट था कि लोगों के बीच इसकी चर्चा तेज़ हो गई, आख़िर ऐसा क्या हुआ?
टोटो कम होने की असली वजह क्या है?
विभिन्न टोटो चालक यूनियनों से बातचीत में पता चला कि शहर में टोटो चलाने वाले अधिकांश चालक पड़ोसी जिलों के रहने वाले हैं। एसआईआर शुरू होते ही वे अपने-अपने जिलों में लौट गए, जिसके कारण टोटो की संख्या अचानक घट गई।
हालांकि पुलिस का दावा अलग है। सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के डीसीपी (ट्रैफ़िक) कामरान शमसुद्दीन अहमद के अनुसार बिना नंबर वाले टोटो को शहर में चलने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस लगातार अभियान चला रही है, इसलिए टोटो की संख्या कम हुई है।
सड़कों पर दिखा बड़ा बदलाव
हासमी चौक, जहां आमतौर पर टोटो की लंबी कतारें दिखती थीं, वहां शुक्रवार दोपहर को लगभग खाली सड़कें नज़र आईं। टोटो तो दूर, गाड़ियों की संख्या भी सामान्य से कम दिखी। पिछले कुछ दिनों से लगातार यही स्थिति बनी हुई है।
सिलीगुड़ी महानगर ई-रिक्शा यूनियन ( आईएनटीटीयूसी समर्थित) के अध्यक्ष राकेश पाल ने भी माना कि टोटो की संख्या घटी है। उनके अनुसार कई चालक बाहर से आकर यहां टोटो चलाते हैं। एसआईआर की वजह से वे अपने घर चले गए हैं। जैसे ही वे लौटेंगे, टोटो की संख्या फिर बढ़ जाएगी।
जाम कम, आम जनता को मिली राहत
शहर में टोटो कम होने से ट्रैफ़िक जाम में भी उल्लेखनीय कमी आई है। तीनबत्ती निवासी मनोज सरकार, जो शालुगाड़ा स्थित एक कार शोरूम में काम करते हैं, ने बताया कि पहले ऑफिस आने-जाने में जाम की वजह से लगभग दो घंटे ज़्यादा लग जाते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से आधे घंटे से भी कम समय में ऑफिस पहुंच जा रहा हूं।
हासमी चौक ही नहीं, हिलकार्ट रोड, सुभाषपल्ली, निबेदिता रोड, सेवक रोड और बर्धमान रोड, सभी जगहों पर ट्रैफ़िक अपेक्षाकृत सुचारू दिख रहा है।