सन्मार्ग संवाददाता
सिलीगुड़ी ः पर्यावरण एवं वन्य प्राण संरक्षण के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए महानंदा वन्य अभ्यारण्य से पांच किलोमीटर तक जो इको-सेंसिटिव जोन घोषित किया गया था उस पांच किलोमीटर के दायरे को कम करके एक किलोमीटर तक किए जाने के प्रस्ताव पर अंततः बात बन गई। इस विषय को लेकर गठित मॉनिटरिंग कमेटी की सिलीगुड़ी नगर गिनम सभागार में शुक्रवार को हुई अब तक की चौथी बैठक में बात बनी। चाय जगत वाले लोग राजी हो गए। वरना, इससे पहले तीन बार हुई बैठकें बेनतीजा ही रही थीं।
इस बैठक में प्रतिनिधि के रूप में शामिल तराई इंडिया प्लांटर्स एसोसिएशन (टिपा) के चेयरमैन महेंद्र बंसल ने संवाददाताओं को बताया कि इको-सेंसिटिव जोन को लेकर हम लोगों को चाय बागानों की चिंताएं थीं उस पर हमें स्पष्टीरण मिल गया। हमारी शंकाओं का समाधान प्रशासन द्वारा किया जाएगा। इको-सेंसिटिव जोन के दायरे में चाय बागान नहीं आएंगे। इसके चलते टी टूरिज्म पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चाय बागानों की ओर से जो इको सेंसिटिव जोन के लिए एनओसी देने की बात है वह एनओसी कल तक हम लोग दे देंगे।
वहीं, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव सुमित घोष ने कहा कि बैठक बहुत अच्छी तरह से हुई। काम की चर्चाएं हुईं। प्रशासन की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि एक किलोमीटर के दायरे से परे टी टूरिज्म के निर्माण कार्य में कोई अड़चन नहीं रहेगी। इसके लिए जो-जो करना होगा प्रशासन करेगा। टी टूरिज्म प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि महानंदा वन्य अभ्यारण्य से पांच किलोमीटर तक घोषित इको-सेंसिटिव जोन में किसी भी प्रकार के स्थायी पक्का निर्माण पर रोक है। उस पांच किलोमीटर के दायरे को कम करके एक किलोमीटर तक किए जाने की कवायद की जा रही है लेकिन यदि वह भी होता है तो महानंदा वन्य अभ्यारण्य के निकटवर्ती चाय बागानों में टी टूरिज्म के तहत निर्माणाधीन अथवा संभावित निर्माण कार्य प्रभावित हो जाएंगे। इसी को लेकर चाय बागान वाले राजी नहीं हो रहे थे और एनओसी नहीं दे रहे थे। वे चाय बागानों विशेष टी टूरिज्म प्रोजेक्ट को इससे परे रखने की मांग पर अड़े थे।
इस दिन की बैठक के बारे में मेयर गौतम देव ने कहा कि आज बैठक हुई। आशा है कि जो समस्याएं थीं उनका समाधान हो जाएगा। डीएम इन मामलों को देख रही हैं। बैठकें कर रही हैं। समस्याओं का समाधान हो जाएगा। इस दिन की बैठक में दार्जिलिंग जिला की डीएम डॉ. प्रीति गोयल, सिलीगुड़ी के एसडीओ अवध सिंघल, वन विभाग के बैकुंठपुर व कर्सियांग डिवीजन के डीएफओ, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, तराई इंडिया प्लांटर्स एसोसिएशन, तराई ब्रांच इंडियन टी एसोसिएशन, इंडियन प्लांटर्स एसोसिएशन व नॉर्थ बंगाल नेशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज आदि के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।