सन्मार्ग संवाददाता
सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग जिले के कर्सियांग महकमा में स्थित एक छोटा, एकांत पहाड़ी गांव चटकपुर है। यह गांव वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है। यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांतिपूर्ण वातावरण और कंचनजंगा के शानदार दृश्यों के लिए जाना जाता है। महज 19-20 परिवारों वाले इस गांव ने हाल के वर्षों में पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय ऑफबीट गंतव्य के रूप में लोकप्रियता हासिल कर ली है। चटकपुर घने पाइन, वार्च और जूनिपर के जंगलों से घिरा हुआ है। यदि आकाश साफ हो तो यहां से कंचनजंगा और हिमालय की अन्य चोटियां देखी जा सकती हैं।
इस क्षेत्र को पहले ही पर्यावरण-अनुकूल गांव का दर्जा दिया जा चुका है। स्थानीय निवासियों ने पर्यटन को अपनी आजीविका के मुख्य साधन के रूप में अपना लिया है, इसलिए यहां कई होमस्टे स्थापित किए गए हैं। यहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षी, हिरण, जंगली बिल्लियां और यहां तक कि काले भालू भी देखे जा सकते हैं। सैलामैंडर नामक एक दुर्लभ जानवर भी यहां पाया जाता है। ट्रैकिंग, पक्षी दर्शन, सूर्योदय देखना और जंगल में सैर करना यहां के मुख्य आकर्षण हैं। यह दार्जिलिंग से लगभग 25 किमी और सिलीगुड़ी से लगभग 65 किमी दूर स्थित है। यहां जाने के लिए सिलीगुड़ी या एनजेपी से कार किराये पर लिया जा सकता है।
किराया आमतौर पर 2,500-3,000 रुपये के बीच होता है। वैकल्पिक रूप से, सिलीगुड़ी से सोनादा तक शेयर्ड कार लिया जा सकता हैं और वहां से चटकपुर तक कार ले सकते हैं। हालांकि, जंगल से गुजरने के लिए प्रति व्यक्ति 100 रुपये की दर से वन विभाग की अनुमति की आवश्यकता होती है। आवास और भोजन सहित प्रति व्यक्ति दैनिक लागत 1,200-1,500 रुपये है। भोजन में स्थानीय जैविक सब्जियां और विशिष्ट बंगाली व्यंजन जैसे चावल, दाल, सब्जियां और चिकन शामिल हैं।