नदी का जलस्तर बढ़ने से किनारे में फंसे लोग  
सिलीगुड़ी

पाना नदी का जलस्तर बढ़ने से कालचीनी से सेंट्रल डुआर्स का संपर्क टूटा

कालचीनी: भूटान में हो रही लगातार बरसात के कारण डुआर्स के विभिन्न नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इसके चलते अलीपुरदुआर जिले के कालचीनी प्रखंड के राधारानी इलाके से सटे पाना ने नदी बिकराल रूप धारण करने लगी है। पाना नदी के संपूर्ण हिस्से पर ब्रिज ना होने के वजह से नदी का पानी ब्रिज के दोनों ओर से बह रहा है। नदी का जलस्तर बढ़ जाने से राधारानी से सेंट्रल डुआर्स की संपर्क व्यवस्था टूट चुकी है, यातायात व्यवस्था ठप हो गया है। इसके चलते सेंट्रल डुआर्स क्षेत्र के कई गांव में रहने वाले हजारों परिवार संकट में फंस गए हैं। जान जोखिम में डालकर कुछ लोग नदी पार कर आवाजही करते हुए भी नजर आए है। जानकारी अनुसार मानसून आते सेंट्रल डुआर्स के निवासियों को यह समस्या झेलनी पड़ती है। भूटान पहाड़ो में बारिश होते ही पाना नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। इसके चलते सेंट्रल डुआर्स, रंगामाटी, हातीमारा, बासरा, भूतड़ी जैसे कई ग्रामीण इलाके में रहने वाले हजारों लोग काफी मुसीबत में पड़ जाते हैं।

ज्ञात होगा कि उन्हें किसी भी कार्य हेतु पाना नदी पार करके कालचीनी पहुंचना पड़ता है। मगर नदी का जलस्तर बढ़ जाने से उनकी संपर्क व्यवस्था पूरी तरह टूट जाती हैं। शुक्रवार सुबह से हुई बारिश से फिर पाना नदी का जलस्तर बढ़ गया था। ब्रिज के दोनों किनारे से नदी का पानी तेज गति से बह रहा था। इसके चलते संपर्क व्यवस्था टूटी हुई थी, नदी के दोनों और वाहनों की कतार लगी हुई थी और काफी लोग घंटे तक नदी किनारे फंसे हुए थे। इस दौरान देखा गया कि कई लोग जान की बाजी लगाकर किसी तरह पानी के तेज रफ्तार पार करने की कोशिश कर रहे थे । तो कई लोग नदी में पानी कमने का इंतजार कर रहे थे। इस विषय पर स्थानीय लोगों ने बताया कि देर रात से हो रही लगातार बारिश के चलते नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है।

स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि प्रतिवर्ष मानसून के मौसम में हमें कुछ इसी तरह की समस्या झेलनी पड़ती है।हलकी बरसात में पूरी नदी उफान पर आ जाता है और हम यही फंसकर रह जाते हैं। इसी बीच अगर कोई बीमार पड़ जाए तो यहां से नदी पार कर अस्पताल पहुंचाना हमारे लिए किसी पहाड़ तोड़ने से कम नहीं होगा। इस विषय पर सेंट्रल डुआर्स के कई लोगों ने यह भी कहा कि बरसों से हम यह समस्या से जूझ रहे हैं। कुछ साल पहले पाना नदी पर ब्रिज तैयार हुआ था लेकिन नदी के बीच में ब्रिज बनाया गया और दोनों साइड छोड़ दिया गया। अधिक बारिश होने पर नदी के जलस्तर बढ़ते ही पानी ब्रिज के अंदर से नहीं बल्कि ब्रिज के दोनों और के रास्ते से बहने लगता है। पाना नदी के पूरे हिस्से पर अगर ब्रिज होता तो ऐसी नौबत नहीं आती। बच्चों को स्कूल व खाने पीने की खरीदारी करने के लिए हमें यहां से कालचीनी की ओर आना जाना करता पड़ता है। बरसात के मौसम में हम जान जोखिम में डालकर यातायात करते हैं। हमारे लिए सोचने वाला नहीं है।

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