सन्मार्ग संवाददाता
सिलीगुड़ी : आंध्र प्रदेश में बर्ड फ्लू के मामले आए हैं। ऐसे में केवल आंध्र प्रदेश ही नहीं पूरा देश सहमा हुआ है और बर्ड फ्लू को रोकने के लिए तरह तरह के उपाय कर रहा है। इस बीच बर्ड फ्लू के डर से बंगाल सफारी पार्क में चिकन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। पार्क में किसी भी जानवर को चिकन नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, डॉक्टर विदेशी पक्षियों पर भी विशेष नजर रख रहे हैं। पार्क में इस्तेमाल होने वाले सफारी वाहनों के पहियों को भी सैनिटाइज किया जा रहा है। पर्यटकों के लिए नये नियम लागू किए गए हैं। उन्हें हाथ-पैर धोने के बाद ही पार्क में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
बताया जा रहा है कि बर्ड फ्लू का अभी तक कोई मामला यहां नहीं आया है, लेकिन पार्क अधिकारी पहले से ही अलर्ट पर हैं। कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं। इसके चलते मुर्गियों को पशुओं के लिए बंद रखने के अलावा पक्षियों के लिए विशेष निगरानी की व्यवस्था की गई है। सिलीगुड़ी के निकट सालूगाड़ा से थोड़ी दूर स्थित सफारी पार्क बाघों, तेंदुओं और अन्य मांसाहारी जानवरों का घर है। उनके लिए प्रतिवर्ष लगभग 9 लाख रुपये मूल्य का 1,535 किलो स्थानीय मुर्गी का मांस मंगाया जाता है। इसके बाद भी प्रतिवर्ष 31 लाख रुपये मूल्य के 12,000 किलोग्राम पोल्ट्री चिकन की आवश्यकता होती है लेकिन जैसे ही बर्ड फ्लू का डर फैला, सभी प्रकार के चिकन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
इसके स्थान पर अब मटन, भैंस और सूअर के मांस की मात्रा बढ़ा दी गई है। पार्क में सांपों को चूहे और खरगोश दिए जा रहे हैं। सफारी पर जाने वाले सभी वाहनों के पहियों को सैनिटाइज किया जा रहा है। यहां तक कि दोबारा बाहर आने के बाद भी उन्हें जल्दी से सैनिटाइज किया जा रहा है। सफारी पार्क में कई विदेशी पक्षी हैं। पार्क अधिकारी उन पर विशेष नजर रख रहे हैं। इसके लिए अलग से लोगों की नियुक्ति की गई है। केवल वे ही पक्षियों की देखभाल और उन्हें भोजन देने जैसे कार्य कर सकते हैं। इन श्रमिकों को भी सैनिटाइज किया जा रहा है और उनके हाथ-पैर अच्छी तरह से धुलवाए जा रहे हैं तथा दस्ताने पहनाए जा रहे हैं। पार्क अधिकारयों ने बताया कि इन कर्मचारियों को किसी अन्य पशु के पिंजरों के पास जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। बर्ड फ्लू के डर के कारण बंगाल सफारी कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है।