मधुमेह रोग के नियंत्रण में भोजन पर नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण है।
भोजन थोड़ा-थोड़ा दिन में चार बार करें। एक दम भोजन न करना या उपवास करना ठीक नहीं है।
मधुमेह पर नियंत्रण के लिये, एवं नियंत्रण के बाद भी निम्नलिखित भोजन नहीं लेना चाहिये-शक्कर, शहद, ग्लूकोज, गुड़, मिठाई, काजू, बादाम, पिस्ता, नारियल, शीतल पेय, हार्लिक्स, बूस्ट, बोर्नवीटा, शराब, केला, आम, अंगूर, आलू, शकरकंद इत्यादि।
हरी सब्जियां, सलाद, टमाटर, मूली, नींबू, पानी, मट्ठा, सूप, अधिक मात्रा में ली जानी चाहिये।
मोटापे को अपने चिकित्सक की सलाह से आदर्श वचन मानकर उसके अनुसार कैलोरी की मात्रा भोजन में घटाकर कम करना चाहिये।
चावल, गेहूं या ज्वार, जो भी अनाज प्रयोग करें, चिकित्सक की सलाह से उसकी दैनिक मात्रा जानकर उतना ही उपयोग करना चाहिये।
चर्बीयुक्त पदार्थ-घी, मक्खन, मलाई, मांस का प्रयोग नहीं करना चाहिये। सरसों के तेल का प्रयोग कम मात्रा में किया जा सकता है।
प्रोटीन की मात्रा भोजन में बढ़ाई जा सकती है। हरे चने, बेसन का आटा, दाल या दही का प्रयोग चिकित्सक के द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार करना चाहिए।
याद रखें-मधुमेह या डायबिटीज की कोई चमत्कारिक चिकित्सा नहीं है। भोजन पर नियंत्रण, नियमित रक्त- मूत्र परीक्षण और चिकित्सक की सलाह रोग को नियंत्रण में रखने में सहायक होते हैं।
भोजन पर नियंत्रण से मधुमेह रोग तो नियंत्रण में रहता ही है, रोग की जटिलताओं जैसे-दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप, गुर्दा रोग या आंखों में खराबी नहीं आने पाती। इससे वजन आदर्श बना रहता है एवं मधुमेह नियंत्रण हेतु दी जा रही दवा की कम मात्रा में आवश्यकता पड़ती है।
अवधेश नायक(स्वास्थ्य दर्पण)