रत्नों का उपयोग प्रायः खूबसूरत आभूषणों के निर्माण में किया जाता है। ये आभूषण न सिर्फ शारीरिक सौंदर्य बढ़ाते हैं बल्कि आकर्षक व्यक्तित्व के जरिये लोगों को प्रभावित करने में सहायक भी होते हैं।
ज्योतिषी एवं तांत्रिक प्रायः ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिये किसी विशेष रत्न को धारण करने की सलाह देते हैं परंतु जो व्यक्ति इन रत्नों की वास्तविकता को नहीं जानते, वे प्रायः इसे अंधविश्वास ही मानते हैं। यदि वे इसे पहनते भी हैं तो महज आभूषण के रूप में परन्तु कई विशेषज्ञों का यह मानना है कि रत्नों में वास्तव में स्वास्थ्य पर नियंत्राण रखने का गुण होता है। इसलिये वे कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा करने में सहायक होते हैं। रत्न धारण करना स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करता है इसे जानने एवं समझने के लिए कुछ बातों पर गौर करना आवश्यक है। आइए, हम इनकी चर्चा संक्षेप में निम्न तथ्यों से करते हैं:-
यदि किसी व्यक्ति को अनिद्रा की शिकायत है या बोलने (आवाज) में किसी तरह की हकलाहट है तो प्रायः ऐसे लोगों को पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है।
जिन लोगों को श्वास संबंधी कोई रोग हो, उनके लिये हीरा धारण करना लाभप्रद होता है।
यदि आप माणिक्य धारण करते हैं तो कंठ विकार, सांस फूलना, हृदय संबंधी रोग, आंख के रोग इत्यादि से बच सकते हैं।
कई बार प्रदर, सर्दी तथा दांत के रोगों के इलाज के लिये मोती धारण करने की सलाह दी जाती है।
जो लोग विकलांग हैं, उनके लिये पुखराज पहनना हितकर है। इसके अलावा मोटे व्यक्ति या जिनको लिवर या हृदय में कोई समस्या हो, वे पुखराज धारण करें।
नीलम एक ऐसा रत्न है जो पेट के रोग दूर भगाता है। साथ ही यह पैरों के दर्द व पोलियो इत्यादि में भी लाभदायक होता है।
यदि आप मूंगा पहनने के शौकीन हैं तो कैंसर और मूर्छा जैसी भयानक व्याधियों को नियंत्रण में रख सकते हैं।
बाहर से इतने सुंदर दिखने वाले ये रत्न वाकई में हमारे स्वास्थ्य के लिये कितने फायदेमंद हैं, उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है। जरूरत है बस इतनी कि आप जब भी कोई रत्न धारण कर रहे हों तो एक बार विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें ताकि वह उन्हें धारण करने की विधि एवं उनकी उपयोगिता विस्तार से बता सके। रत्नों को उनकी उपयोगिता धारण करने की विधि और खासकर असली रत्न धारण किया जाय तो वास्तव में कितना लाभ मिलता है, इसका मूल्यांकन आप स्वयं कर सकते हैं। चन्द्रशेखर आजाद(स्वास्थ्य दर्पण)