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संजीवनी

आज भी संभव है ब्रह्मचर्य का पालन

रहन सहन

ब्रह्मचर्य का असली अर्थ है अपनी इन्द्रियों पर काबू पाना। ब्रह्मचर्य व्रत को पूरा करने के लिए आवश्यकता होती है उत्तम ध्येय कर उपासना करने और अपने मन और इंद्रियों पर पूर्ण रूप से काबू पाने की।

ब्रह्मचर्य के कुछ सूत्र

प्रातः जल्दी उठना:- जल्दी उठ कर बाहर के प्राकृतिक वातावरण का आनन्द उठाने से मन की चंचलता पर काबू पाने में मदद मिलती है। प्रातः उठने के लिए रात्रि में जल्दी सोना चाहिए।

प्रातःकालीन क्रियाओं को नियमित करना:- प्रातः काल ताजे वातावरण का आनंद उठाने के लिए ही शौच आदि से निवृत्त हो, स्नान करने के बाद कुछ योगाभ्यास नियमित करना चाहिए। प्रातःकालीन क्रियाओं में प्रार्थना मनन या अच्छे ग्रंथों का पठन करने से दिनभर मन उत्तेजित नहीं होता क्योंकि विचार शान्त रहते हैं।

सद्व्यवहार:- अपनी बातचीत और सद्व्यवहार से दूसरों का मन जीतना चाहिए। अपना अच्छा ज्ञान दूसरों को देने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। समाज के लिए जो भी करें, अच्छा करें ताकि आपको लगे कि आप अपने जीवन को उत्कृष्ट बना रहे हैं।

व्यस्ततता:- दिन भर अपने आप को व्यस्त रखें। अपने शौक (हाबी) को पूरा करने के लिए समय निकालें। व्यस्त रहने से मन में बुरे विकार जन्म नहीं लेते। व्यस्तता का अर्थ यह नहीं कि आप टी.वी., कंप्यूटर पर मनोरंजन करते रहें।

अनुशासनप्रिय जीवन:- स्वयं को अनुशासनप्रिय बना कर रखें। अनुशासन से मन शांत रहता है। शांत स्वभाव होने से आपको कोई भी फैसला लेने में सहायता मिलती है।

सात्विक भोजन:- ‘सादा भोजन उत्तम विचार’ वाली कहावत को अपने जीवन में उतारें। भोजन भी ईमानदारी की कमाई का ही अच्छा होता है, इसलिए परिश्रम से पैसा कमायें। कम समय में अधिक अमीर बनने के सपने न देखें।

योगाभ्यास और ध्यान:-ऊं का गुंजन कर ध्यान लगाएं। आसन, प्राणायाम का नित्य क्रियाओं में समावेश करें। इन सब से मन शांत व विचार सात्विक बनते हैं।

कुछ बाधक कारण:-बुद्धि भ्रष्ट करने के लिए आजकल आसपास के वातावरण में बहुत कुछ है। जैसे:-

-अश्लील साहित्य पढ़ना, अश्लील चित्र देखना। इनसे चरित्र का हनन शीघ्रता से होता है।

-छोटी आयु में यौन संबंधी बातों का ज्ञान होना।

-अधिक उत्तेजक वस्त्रों के धारण से।

-उत्तेजक भोजन ग्रहण करने से।

-अत्यधिक शृंगार का शौक होने से।

-अनियमित सोने-उठने से। दैनंदिन क्रियाओं में अनियमितता बरतने से।

- अच्छी संगति की कमी से।

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