प्रौढ़ावस्था और आपका स्वास्थ्य प्रौढ़ावस्था और आपका स्वास्थ्य
संजीवनी

प्रौढ़ावस्था और आपका स्वास्थ्य : क्या करें, क्या न करें

सेहत चर्चा

प्रौढ़ावस्था जीवन का वह काल होता है जहां तक पहुंचकर इंसान हर तरह से परिपक्व हो जाता है। यह जीवन की वह अवस्था है जिसमें जीवन के वास्तविक आनंद को उठाया जा सकता है।

इस अवस्था में पहुंचकर इंसान तरह-तरह के अनुभवों को प्राप्त करके अनुभवी बन जाता है। वह जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने को बेहतर तरीके से तैयार कर लेता है लेकिन 45 वर्ष की उम्र के बाद प्रायः कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याआंे से जूझना भी पड़ता है। इससे परेशान होकर लोग इसे जीवनकाल की संध्या समझने लगते हैं। कई लोग तो इन्हीें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में ही उलझे रह जाते हैं और उनका जीवन इसी में गुजर जाता है।

ऐसे में जरूरी होता है कि व्यक्ति अपनी युवावस्था की सभी आदतों को छोड़कर नियमित रूप से स्वास्थ्य रक्षा संबंधी नियमों का पालन करना शुरू कर दें। ऐसा करना थोड़ा कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं है। धीरे-धीरे सहनशक्ति के सहारे युवावस्था की आदतों को बदला जा सकता है। प्रौढ़ावस्था में स्वस्थ रहने के लिए निम्न बातों का अनुसरण व पालन करना जरूरी हैः-

-आयु बढ़ने के साथ शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है जिसके कारण घुटनों, एडि़यों तथा अन्य भागों में दर्द होने लगता है। इससे बचने का सरल उपाय है कि अपने आहार में वैसे खाद्य पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में शामिल करें जिसमें कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है। प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम कर दें।

-प्रौढ़ावस्था में चीनी और नमक कम मात्रा में सेवन करना शुरू कर दें। इनके ज्यादा सेवन करने से ‘मधुमेह‘ और उच्च रक्तचाप से ग्रसित होने की संभावना बढ़ती है। अपनी चाय में स्वयं चीनी मिलाएं ताकि आपको दिन भर में ली गई चीनी की मात्रा का अनुमान रहे। यदि आप मिठाई पसंद करते हैं तो छेने की मिठाई खाएं। यदि रसगुल्ला या गुलाबजामुन खाना चाहें तो इनका रस अवश्य निचोड़ दें। प्रौढ़ावस्था में श्रम कम करने के कारण शरीर में शर्करा की खपत कम होती है जिसके कारण ‘डायबिटिज‘ का खतरा बढ़ जाता है।

-सब्जी या दाल फीकी लगने पर ऊपर से नमक डालकर न खाएं।

-बाजार के मसालेदार अचारों के बदले घर पर ही लौकी, नींबू आदि के कम तेल और मसाले के अचार बनवाकर सेवन करें।

-अपना वजन घटाने के लिए डायटिंग न करें। यदि आप रोटी की मात्रा घटा रहे हैं तो भोजन में फल और सलाद की मात्रा बढ़ा दें।

-मानसिक तनाव से बचें। तनाव कम करने के लिए रेडियो या टी. वी. के द्वारा मनोरंजन अवश्य करें। आप अपनी किसी हॉबी को बढ़ावा दें ताकि आपको अकेलापन महसूस न हो।

-नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाते रहें। साल में एक-दो बार ब्लड शुगर, ई. सी. जी. वगैरह टेस्ट कराते रहे। इससे अचानक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।

-रजोनिवृत्ति के बारे में जानकारी रखें। अधिक परेशानी होने पर स्त्राी रोग विशेषज्ञ से मिलकर जरूर सलाह लें।

-नियमित रूप से खुली हवा में भ्रमण करना शुरू कर दें तथा हल्का-फुल्का व्यायाम अवश्य करें।

ऐसा न करें

-वजन जल्द घटाने के चक्कर में बहुत अधिक व्यायाम न करें। ऐसा करके आप थक जायेंगे और दिन भर सुस्त बने रहेंगे।

-व्यायाम देखा-देखी न करें, बल्कि अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्यायाम करें। यदि आपका कोई साथी मैदान के कई चक्कर लगाता है तो हो सकता है कि उसे शेष दिनचर्या में आपकी अपेक्षा कम श्रम करना पड़ता हो।

-बहुत अधिक संयमित आहार न लें। कभी-कभी कुछ तले पदार्थ भी खाएं। संयमित आहार में शरीर के लिए सभी तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। संयमित आहार लेने से रक्त में हीमोग्लोबिन के कम होने की संभावना रहती है।

-थोड़ी सी परेशानी होते ही दवाइयां न खाएं। घुटने का दर्द या सिर दर्द होने पर आराम करें। यदि समस्या बार-बार उत्पन्न हो तो किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लें और उसके परामर्श के अनुसार ही दवाइयों का सेवन करें।

-शक्कर का सेवन अचानक न बंद करें बल्कि धीरे-धीरे इसका सेवन, छोड़ें। शरीर में शर्करा की मात्रा बहुत कम हो जाने पर ‘निम्न रक्तचाप‘ की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

राजा तालुकदार(स्वास्थ्य दर्पण)

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