आजकल यह रोग हर घर में अपना स्थान बनाए हुए है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो इस रोग से बचा हो। जानते हैं आखिरकार यह है क्या - जोड़ों का दर्द (अर्थ्राल्जिया) शरीर के किसी भी जोड़ में असहजता या पीड़ा को कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे—आर्थराइटिस (ओस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस), चोट (फ्रैक्चर, मोच, खिंचाव), संक्रमण (सेप्टिक आर्थराइटिस) और ऑटोइम्यून रोग (लुपस)। यह दर्द हल्की पीड़ा से लेकर गंभीर तक हो सकता है, साथ ही अकड़न, सूजन और लालिमा भी दिखाई देती है।
जोड़ों के दर्द के सामान्य कारण
आर्थराइटिस: सबसे आम कारण, जिसमें उम्र संबंधी ओस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉइड आर्थराइटिस या गाउट शामिल हैं।
चोटें: फ्रैक्चर, मोच, मांसपेशियों या टेंडन पर अत्यधिक दबाव।
संक्रमण: वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, सेप्टिक आर्थराइटिस या ऑस्टियोमायलाइटिस।
ऑटोइम्यून रोग: लुपस, स्क्लेरोडर्मा इत्यादि।
अन्य कारण: बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस, या मानसिक तनाव।
लक्षण
-दर्द या पीड़ा
-अकड़न, विशेषकर सुबह में
-सूजन और लालिमा
-गति में कमी
-कभी-कभी बुखार, चकत्ते या मुंह के छाले
-घरेलू देखभाल
-आराम करें और प्रभावित जोड़ को विश्राम दें।
-ठंडी सिकाई करें (20 मिनट तक)।
-वजन नियंत्रण रखें।
होम्योपैथिक औषधियाँ
होम्योपैथी में जोड़ों के दर्द हेतु कई प्रभावी औषधियाँ उपलब्ध हैं, जो रोग के कारण और लक्षणों के अनुसार दी जाती हैं:
Rhus Toxicodendron – ठंड व आराम से दर्द बढ़े और चलने-फिरने से राहत मिले।
Bryonia Alba – हलचल से दर्द बढ़े और स्थिर रहने पर आराम मिले।
Colchicum – गाउट से उत्पन्न तीव्र जोड़-दर्द, विशेषकर छोटे जोड़ों में।
Causticum – पुराना रूमेटिक दर्द, विशेषकर सर्दी व नमी में।
Ledum Palustre – पैरों के निचले हिस्से में शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ने वाला दर्द।
दवा होम्योपैथिक चिकित्सक की देखरेख में ही लें।
डाॅ. देवश्लोक शर्मा (वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक)