आजकल मोबाइल में फूड डिलीवरी एप होना आम बात है। भूख लगी, मन किया और बस दो-तीन क्लिक में खाना घर के दरवाज़े पर । शुरुआत में यह सुविधा लगती है, लेकिन धीरे-धीरे यही सुविधा कई लोगों के लिए आदत बन जाती है। कुछ लोगों को तो ख़ुद पता भी नहीं चलता कि वे कब इसके आदी हो गए। मनोचिकित्सक इसे फूड ऑर्डरिंग एडिक्शन कहते हैं । यह क्यों होता है, आइए जानते हैं -
ये हैं कुछ कारण
- अक्सर फूड डिलीवरी एप से बार-बार खाना मंगाने की वजह भूख नहीं, बल्कि बोरियत, अकेलापन या तनाव होता है। ख़ाली समय में मोबाइल हाथ में आते ही एप खुल जाता है और बिना कुछ सोचे-समझे खाना मांगवा लेते हैं।
- ऑर्डर किए जाने वाले अधिकांश खाने में वसा, शक्कर व नमक का उच्च स्तर होता है। ये तत्व मस्तिष्क को इस तरह से उत्तेजित करते हैं कि वे लत लगाने वाले कारक बन जाते हैं, जिससे इन्हें खाने की इच्छा और बढ़ जाती है।
- ये एप्स, ऐसे डिज़ाइन किए जाते हैं कि यूज़र बार-बार उन पर लौटे । दिन में कई बार आने वाले छूट के संदेश, खाने की तस्वीरें और सुझाव दिमाग़ को लुभाते हैं।
समस्या को पहचानें, तब होगा बदलाव
इस आदत से बाहर निकलने का सबसे पहला क़दम है, सच स्वीकार करना कि क्या यूं बिना सोचे खाना मंगवाना सिर्फ़ आलस है या यह एक तरह की लत बन चुकी है।
- बार-बार खाना ऑर्डर करने की तीव्र इच्छा होना, जिसे रोकने के बाद भी नियंत्रित करना मुश्किल हो।
- तनाव, बोरियत, चिंता या उदासी महसूस होने पर तुरंत फूड डिलीवरी एप खोलना और खाना ऑर्डर करना। यानी खाने का इस्तेमाल भावनात्मक परेशानियों से निपटने के लिए एक टूल के रूप में करना।
- घर के खाने में स्वाद महसूस न होना या घर पर खाना बनाना बहुत मुश्किल या तनावपूर्ण लगना।
- फूड डिलीवरी एप्स पर लंबे समय तक मेनू देखते रहना या तय करने में बहुत समय लगाना कि क्या ऑर्डर करें।
आदत को ऐसे छुड़ाएं
- रोज़ के ख़र्च लिखें इससे कम ख़र्च करने का दवाब बनेगा। घर में कुछ पौष्टिक खाद्य रखें ताकि हल्की-फुल्की भूख पर नियंत्रण लगाया जा सके।
- जब भी ऑर्डर करने की तीव्र इच्छा हो, तो रुककर सवाल करें कि क्या सच में भूख लगी है या ये सिर्फ़ उदासी या बोरियत है।
- आर्डर से पहले 10 मिनट इंतज़ार करें। इस दौरान पानी पीएं, कोई और काम करें इससे आवेग कम हो सकता है।
- आदत बढ़ गई हो तो एप डिलीट कर दें। शुरुआत में एप के नोटिफिकेशन भी बंद कर सकते हैं।