Should doctors choose lactated Ringer's solution (right) or normal saline? 
कोलकाता सिटी

सलाइन कांड : क्या सरकार को पहले ही मिला था संकेत?

कोलकाता : मिदनापुर मेडिकल कॉलेज में एक्सपायरी सलाइन देने से एक प्रसूता की दुखद मौत को लेकर बंगाल की सियासत गरमाई हुई हैं। सोमवार राज्य सचिवालय नवान्न में पत्रकारों से मुख़ातिब हो कर मुख्य सचिव डॉ मनोज पंत ने कहा, यह मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इस हादसे के पीछे लापरवाही हैं। उन्होंने कहा कि विस्तृत जांच रिपोर्ट के बाद इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। हालांकि सियासी गलियारे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार को पहले से कुछ पता नहीं था? क्या उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं थी? तो फिर वे 7 जनवरी को, मिदनापुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मौत से ठीक एक दिन पहले हर जिले को नोटिस क्यों जारी करते हैं कि 'पश्चिमबंग फार्माक्यूटिकल्स' से किसी भी सलाइन का उपयोग न करें ?

स्वास्थ्य सचिव ने कहा, यह एक नियमित प्रक्रिया है

नवान्न में सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में यह सवाल पूछने पर स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने कहा, यह एक नियमित प्रक्रिया है। हमने पहले भी अलर्ट किया है। इससे साबित होता है कि सरकार को इस सलाइन के इस्तेमाल से होने वाले खतरे के बारे में पता था, लेकिन प्रशासन ने इस संबंध में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया, इसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है। पता चला है कि पिछले साल 9 दिसंबर को कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग की ओर से ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया को लिखे गए पत्र में बताया गया कि 'पश्चिमबंग फार्माक्यूटिकल्स' के सेलाइन के इस्तेमाल से राज्य में चार मरीजों की मौत हो गई है। कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने आरोपी संगठन के खिलाफ तत्काल जांच और कार्रवाई का अनुरोध भी किया था। इसके बाद केंद्रीय औषधि नियंत्रण विभाग ने जांच शुरू की और उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा ब्लॉक में इस फैक्ट्री को बंद कर दी गई। 11 दिसंबर से वहां उत्पादन बंद है। प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार को भी सूचित किया गया था।

राज्य सरकार ने भी संगठन के ख़िलाफ़ जारी की थी नोटिस

इसी साल 7 जनवरी को राज्य स्वास्थ्य विभाग के सेंट्रल मेडिकल स्टोर की ओर से राज्य के सभी जिलों को एक नोटिस भेजा गया था। इसमें कहा गया है कि 'पश्चिमबंग फार्माक्यूटिकल्स' द्वारा निर्मित सलाइन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यानी 8 जनवरी से राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में वे उक्त संगठन के सलाइन का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा। सवाल उठता है कि सब कुछ पता होने के वाबजूद 11 दिसंबर से 7 जनवरी तक लगभग एक महीने के अंतराल में राज्य प्रशासन इस कंपनी के सलाइन के उपयोग को रोकने के संबंध में क्या कर रहा था? इस संबंध में अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

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