कोलकाता सिटी

दार्जिलिंग की 2 चाय बागानों समेत 3 का प्रबंधन शुरू किया बगरिया ग्रुप ने

पांडम और कालेज वैली चाय बागानों का पुनरुद्धार, तराई के पानीघाटा चायबागान में भी काम शुरूआत

ऑर्गेनिक गार्डेन का पेश कर रहा है मिशान

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : दार्जिलिंग के दो चाय बागान, पांडम और कालेज वैली, एक साल बाद फिर से खुल गए, जिससे उद्योग के हाल के सबसे कठिन दौर में उम्मीद की किरण जगी। बगरिया ग्रुप ने इन दोनों बागानों का प्रबंधन संभाला है। इसके साथ ही तराई में स्थित चायबागान पानीघाटा में भी काम शुरू हो गया है। यहां पर 10 साल बाद काम शुरू हुआ है। इस बारे में बगरिया ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिव. शंकर. बगरिया ने कहा, “राज्य सरकार ने मुझसे इन दो बागानों को संभालने का अनुरोध किया था, क्योंकि यहां आजीविका से जुड़े मुद्दे थे।” 

शिव. शंकर. बगरिया

पानीघाटा बागान का भी अधिग्रहण

इस सप्ताह की शुरुआत में, बगरिया ग्रुप ने पानीघाटा चाय बागान का प्रबंधन भी संभाला, जो लगभग 10 साल बाद खुला। यह बागान दार्जिलिंग जिले में है, लेकिन दार्जिलिंग चाय उद्योग का हिस्सा नहीं है। बगरिया ग्रुप पिछले 25 वर्षों से दार्जिलिंग चाय उद्योग में सक्रिय है और वर्तमान में गायबारी, फुगुरी और ऑरेंज वैली बागानों का संचालन कर रहा है। एस. एस. बगरिया ने बताया, “हम असम में भुबरीघाट चाय बागान भी चलाते हैं।” वे पूर्व में दार्जिलिंग चाय एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

उद्योग की चुनौतियां

उन्होंने स्वीकार किया कि दार्जिलिंग चाय उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा एक फायदा यह है कि हम दार्जिलिंग चाय का सीधा निर्यात करते हैं और स्थानीय बाजार में बिक्री नहीं करते।”विश्व के टॉप टेन देशों में यहां से चाय का एक्सपोर्ट किया जाता है।

बागानों की उत्पादन क्षमता

गायबारी : प्रतिवर्ष 2.5 लाख किलो चाय

फुगुरी : प्रतिवर्ष 1.5 लाख किलो चाय

ऑरेंज वैली : प्रतिवर्ष 1.10 लाख किलो चाय

कालेज वैली : प्रतिवर्ष 1.5 लाख किलो चाय

पांडम : प्रतिवर्ष 75,000 किलो चाय

पानीघाटा : प्रतिवर्ष 10 लाख किलो चाय

उन्होंने कहा, “इस साल हम इन आंकड़ों का 50 से 60 प्रतिशत तक उत्पादन करने की उम्मीद करते हैं, क्योंकि हम पहले ही दो महीने का उत्पादन खो चुके हैं।”

दार्जिलिंग चाय उद्योग का संकट

2024 में दार्जिलिंग चाय ने अपने 169 साल के इतिहास में सबसे कम उत्पादन दर्ज किया, केवल 5.6 मिलियन किलो। भारतीय चाय बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 87 बागानों में से 8 अभी भी बंद हैं। 2017 में 3.21 मिलियन किलो उत्पादन हुआ था, लेकिन उस साल 104 दिनों की हड़ताल के कारण यह आंकड़ा तुलनीय नहीं है। एक बागान मालिक ने कहा, “2024 का 5.6 मिलियन किलो का आंकड़ा चिंताजनक है।” हालांकि नेपाल की चाय के कारण दार्जिलिंग बाजार में नुकसान है लेकिन इसकी भरपाई की जा सकती है। यह स्थिति दार्जिलिंग चाय उद्योग के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रही है। 

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