प्रसेनजीत, सन्मार्ग संवाददाता
बहरमपुर : जिस दिन ममता बनर्जी मुर्शिदाबाद में सभा कर रही थीं, ठीक उसी दिन भरतपुर के तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर को 'पार्टी विरोधी गतिविधियों' के कारण टीएमसी ने निलंबित कर दिया है। इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में जोरदार चर्चा शुरू हो गई है। राजनीतिक हलकों के अनुसार, इसी माहौल में ममता ने बहरमपुर की सभा से बिना नाम लिए उन्हें ‘मीरजाफर’, 'गद्दार' कहकर निशाना साधा।
गुरुवार को बहरमपुर स्टेडियम से ममता ने कहा, 'मुर्शिदाबाद एक ऐतिहासिक स्थान हैं जहा स्वतंत्रता संग्राम लड़ी गयी थी। नवाव सिराजुद्दौला ने मीरजाफर के सिर पर ताज रखकर कहा था—इसका मान रखो, स्वतंत्रता को जाने मत दो। इस सम्मान की रक्षा करना। लेकिन इतने बड़े सम्मान के बाद भी मीरजाफर ने विश्वासघात किया। सिराजुद्दौला आज भी घर-घर पूजे जाते हैं, क्योंकि उन्होंने देश की भलाई चाही, और मीरजाफर को मिली सिर्फ नफ़रत।' उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद के लोग धर्म के नाम पर हिंसा पसंद नहीं करते। 2006 के 6 दिसंबर को भी (वावरी मस्जिद विनाश के दिन) जिसे हम साम्प्रदायिक सद्भाव दिवस मानते हैं, यहां दंगा नहीं हुआ। धूलियान और जंगीपुर में जब तनाव की स्थिति बनी, तो मैंने खुद हस्तक्षेप किया। ममता ने आगे कहा, 'बहुसंख्यक लोगों का कर्तव्य है कि वे अल्पसंख्यकों की रक्षा करें, और अल्पसंख्यक बहुसंख्यकों की। यही सर्वधर्म समन्वय है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन साम्प्रदायिक साजिश और शक्तियों का नहीं।'
उन्होंने तीखा हमला करते हुए कहा, 'हर धर्म में कुछ 'गद्दार', 'विश्वासघाती' होते हैं, जो भीतर-भीतर भाजपा से जुड़े रहते हैं और पैसे लेकर साम्प्रदायिकता फैलाते हैं। चुनाव से पहले कुछ लोग पैसे खाकर दंगा फैलाने की कोशिश करते हैं—ये देश के दुश्मन हैं।' ममता ने लोगों से कहा कि 'सड़े हुए तत्वों' को हटाना जरूरी है, वरना पूरी फसल खराब हो जाएगी। इन 'कीड़े मकोड़े' को बाहर फेकना चाहिए। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी, निर्दलीयों को वोट न दें, वे पैसे लेकर वोट काटते हैं। अब सवाल उठ रहा है—क्या यह संदेश सिर्फ हुमायूं के लिए था या पार्टी के अन्य असंतुष्ट नेताओं के लिए भी। मुख्यमंत्री की इस तीखा वार्ता को लेकर राज्य राजनीतिक परिसर में तेज़ अटकाले शुरु हो चुकी हैं।